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Monday 24 February 2014

              बंटवारा कितना फायदेमंद....??

 
-          सर्वमंगला मिश्रा
-          9717827056

हम सब ने स्कूलों में पढा है कि सूर्य आग का एक गोला था...जब ये गोला धीरे धीरे ठंडा हुआ और पृथ्वी का निर्माण हुआ...फिर आहिस्ता आहिस्ता विश्व अनेक देशों में बंट गया ....देश प्रदेशों में और इस तरह न जाने कितने भागों में बंटता चला गया....जाहिर सी बात है... 510,072,000 km² में फैली धरती  को संभल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है....फलस्वरुप अमेरिका, ब्रिटेन, कोरिया, इटली अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, जापान, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से भी आगे बंट गया....देशों की उन्नति हुई....मंजर ऐसा कि हुआ कि हर देश के विकास की आज अपनी एक कहानी है....आंकड़े ,सर्वे, प्रति वर्ष आंकड़ों के ग्राफ निकलकर आते हैं....खैर, हमारा मुद्दा यह नहीं हैं....कि किस देश ने अब तक कितनी विकास की सिढियां चढ़ी हैं....हमारा मसला है कि भारत में कितने राज्यों का बंटवारा होगा...पहले देश में 25 राज्य थे...फिर सन् 2000 में इज़ाफा हुआ और संख्या 28 की हो गयी...अब इसी तरह छोटे –छोटे राज्यों की मांग दिन पर दिन बढती ही जा रही है...देश व्यापी आन्दोलन, हिंसा, न जाने कितने अनशन करने के बाद 2000 में तीन और राज्यों का जन्म हो गया....बिहार, यूपी और छत्तीसगढ़ विभक्त हो गये....बंटवारा होने के मापदण्ड पहले भाषा, भौगोलिक अवस्था और खान- पान के आधार पर बंटवारा होता था....पर, अब जो राज्य बंट रहे हैं उनका मापदंड थोड़ा बदल सा गया है....बदल गया है नजरिया, मानसिकता...देश में अब अमूमन हर जाति अपने आपको विकास के उस पायदान पर खड़ी करना चाहती है...विकसित होना चाहती है...तेलंगाना में तेलगु के विरोध में तेलगु खड़ी होकर न्याय मांगी...अलगाववाद के लिए विचलित यह खून आज बंटवारे की धारा से देश के इतिहास में एक नया अध्याय लिख चुका है.....अपने मार्ग स्वयं प्रशस्त करना चाहती है....अपने विकास की गौरव गाथा खुद लिखना चाहती है...
19 फरवरी 2014 को देश ने देखा कि सबके टेलीविजन काले हो गये तकरीबन 3 बजे दोपहर से ...संसद की कार्रवायी देश की जनता नहीं देख सकी...बैल्क आउट हो गया या कर दिया गया....इस बहस पर फिलहाल जाना व्यर्थ है...क्योंकि देश में चुनाव का सूरज 90 डिग्री पर चमक रहा है...इसलिए सरगर्मी जोरों पर है...जहां क्या हो रहा है किसी की भी समझ में शायद नहीं आ रहा है....आरोप-प्रत्यारोपों के बीच युद्ध का घमासान प्रारम्भ हो चुका है....जनता के सामने जाना है...तो कुछ तो होना चाहिए बोलने के लिए ना....इसलिए हर पार्टी श्रेय लेने के होड़ में एक दूसरे का साथ देने से नहीं चूक रही....केजरीवाल को दिल्ली में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने बिना शर्त के समर्थन देने को तैयार हो गयी....बीजेपी ने कांग्रेस के आगे हाथ बढाकर तेलंगाना बिल को पास करवाकर अपने जीत का ढोल पीटने की तैयारी कर ली है....जहां बीजेपी, कांग्रेस के लिए अछूत थी पर, चुनाव के माहौल में सब एक हैं...एकता अखण्डता की नयी कहानी गढ़ी जा रही है.....काश!!! ऐसी भावना निरन्तर हर खून में बहती तो आज इतने भ्रष्टाचार, घोटाले और इतनी गिरी हुई राजनीति की शक्ल देशवासियों को न देखनी पड़ती.....पर, आज देश की राजनीति इतनी पंगु न होती...केजरीवाल जैसे लोगों को शायद जन्म ही नहीं लेना पड़ता....क्योंकि आन्दोलन तभी जन्म लेता है जब मस्तिष्क में खून उबल जाता है...भावना का बी पी हाई हो जाता है....और आस्था का विश्वास टूट जाता है.....

देश ने देखा कि अलग होने के बाद 3 राज्यों ने कितना विकास किया....अपने जन्मभूमि तक को पीछे छोड़ दिया....प्लानिंग कमिशन के मुताबिक कागजों पर विकास के आंकड़े नजर आते हैं....बहुत हद तक विकास हुआ भी है...इससे मुकरना संभव नहीं....पर क्या हिंसात्मक विभाजन एक पैटर्न बन गया है.....??? तेंलंगाना को विभक्त होने के उपरांत कितनी वरीयता मिलेगी....और संघर्ष कड़ा हो गया है....राजधानी हैदराबाद केन्द्र और जद्दोजहद का आकर्षण पूरे देश के लिए बना रहेगा....जिन लोगों ने अपनों के बीच जिल्लत झेली है...उन्हें शांति और शूकून का एहसास हुआ है तो अपनों से बिछड़ने का गम, दहशत और खौफ मन में घर कर चुका है....पर सच्चाई यह है कि तेलंगाना राज्य जन्म ले चुका है....जैसे –तैसे 19 फरवरी को संसद में तेलंगाना के लिए लम्बी लड़ाई लड़ने वाले, जगन रेड्डी, किरन राव रेड्डी की निराशा साफ झलकी और सी एम पद से इस्तीफा भी दे डाला....उधर बिहार के मुख्यमंत्री की नींद फिर खुल गयी है....बिहार को स्पेशल स्टेटस के दर्जे की लड़ाई लड़ रहे नीतीश कुमार जी को चुनाव का अपना अहम मुद्दा भुनाने की याद आ गयी  है....एक लम्बे अरसे से केन्द्र से चल रही लड़ाई में अब तनातनी का माहौल सा हो गया है....अब चुनावी घोड़े चेतक की स्पीड से दौड़ने लगे हैं....तेंलंगाना के बाद बिहार को स्पेशल स्टेटस का दर्जा दिलाना चुनाव की इस घड़ी में आन, बान और शान का मसला बन गया है...इसीसे बिहार के मुख्यमंत्री का सिर गर्व से ऊंचा होगा...और एक अहम उपलब्धि भी...जो लालू यादव के सामने गरजने का जोरदार मौका देगी....इस मौके को चूक जाने का मतलब है कि चुनाव में बिहारवासियों के मुंह पर धोखेबाजी की चपत...फलस्वरुप, कुर्सी की दावेदारी में सेंध लगने की आशंका....जो नीतीश बाबू झेलना नहीं चाहते...16वीं लोकसभा बड़ी असमंजस भरी डगर पर चल निकली है....राह में कांटों से ज्यादा कुंए और खाइयां हैं...उन्हें पार करना इस बार काफी कठिन होगा...इस बार फार्मूला वन रेस के तर्ज पर चुनाव होना था....जिसकी शुरुआत केजरीवाल ने दिल्ली में रामलीला मैदान में शपथ लेकर की तो उसका अंत विधानसभा में कर दिया....पर चुनाव की प्रतियोगिता खत्म नहीं हुई है...पर, पिक्चर अभी बाकी है दोस्त!!!




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