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Friday 19 June 2020

हसरतों के उड़न खटोला पर सुशांत सिंह राजपूत




 सर्वमंगला मिश्रा, स्नेहा

हसरतें जब उड़ान भरती हैं तब पवन का वेग भी कहीं न कहीं पीछे रह जाता है। आंधियों के झंझावात की तरह हसरतें उड़ान भरती हैं। हसरत का ना कोई गुरु होता है ना कोई शागिर्द। ऐसा ही कुछ हुआ सुशांत सिंह राजपूत के साथ। शामक दावक के ग्रूप में चौथी लाइन का डांसर, महेंद्र सिहं धोनी पर बनी बायोपिक में अपना जलवा बिखेरने वाला सुशांत अब कभी नहीं अपना जलवा बिखेरेगा क्योंकि वो सो चुका है सदा सदा के लिए। अनंत की यात्रा में जा चुका सुशांत के लिए पूरा देश यही प्रार्थना कर रहा है कि सुशांत की अधूरी ख्वाहिशों को शांति मिल जाए। सुशांत की 50 ख्वाहिशें थीं जिसमें से 12 पूरी हुईं। मैं कहूंगी सुशांत बहुत भाग्यशाली था जिसके 12 ख्वाब पूरे हुए। दुनिया में ऐसे भी लोग मिल जाएंगें जिनकी एक ख्वाहिश भी पूरी नहीं हो पाती और जिंदगी निकल जाती है। वजह चाहे कुछ भी हो।

सुशांत सिहं राजपूत की प्रोफेशनल जिंदगी परवान तो चढ़ी पर उस परवान को सिराहना नहीं मिल पाया। सुशांत जीवन में आगे जरुर बढ़ रहे थे लेकिन पीछे भी बहुत सी चीजें भूलते जा रहे थे जो कुछ लोगों को नागंवार लग रहा था। सुशांत ने कई टी वी सीरियल किए पर शोहरत मिली ज़ी टी वी पर प्रसारित होने वाले पवित्र रिश्ता से मिली। जिसमें अंकिता लोखंड़े सुशांत के साथ मुख्य भूमिका में दिखीं। जीवन की पवित्रता पर्दे पर भी नजर आने लगी। लोग इस जोड़ी को दिल से सराहते रहने लगे। ऐसा लगता था जैसे इस सीरियल में ये दोनों मुख्य कलाकार कोई भूमिका नहीं निभा रहे हैं बल्कि ये दोनों सचमुच जीवन जी रहे हैं। बिहार से आया ये लड़का, जिसकी आंखों में सपनों की कोई कमी नहीं थी बस उसे पूरा करने की ललक थी। यह ललक उसे कई लोगों से मिलवाती है जिसमें कुछ लोग आगे बढ़ने में मदद कर सकते थे तो कुछ नए हमदर्द बन रहे थे। शर्मीले स्वभाव के सुशांत अपनी मुस्कान और छरहरी पर्सनालिटी से लोगों का दिल सहज़ ही जीत लेते थे। इसी सिलसिले में मुलाकात हुई कृति सेनन से। आपको याद भी होगा वर्लपूल के एक एडवर्टाइज़ में दोनों साथ भी नजर आते हैं। लेकिन आप कह सकते हैं कि ऐसा तो इस इंडस्ट्री में होता ही रहता है। सही बात है दिल की इस इंडस्ट्री में अगर दिल नजर आता है तो ईर्ष्या, अहंकार, प्रतिशोध भी नजर आता है। मनोहर दिखने वाली परियों सी नई नई कहानियां सुनाने वाला ये जगत बहुत कुछ सागर की खामोशी की तरह पी भी जाता है। श्रीदेवी की मौत को ज्यादा वक्त गुजर भी गया है और नहीं भी। जिस कदर उनकी मौत हुई और उस पर नागवांर गुजरने वाली उनके परिवार की चुप्पी जनता को कचोटती ही रह गई। पर मामाला अनसुलझा रह गया और वक्त आगे निकल गया। दिव्या भारती की मौत आजतक पहेली ही है। फहरिश्त बहुत लम्बी है और उलझन भी। दोनों को निदान बहुत कठिन है। बरसों से अपनी पैठ का साम्राज्य जमाए मनोरम नगरी में एक कुनबा है जो किसी की दखलंदाज़ी बर्दाश्त नहीं कर सकता।

जैसे जैसे सुशांत अपने अनंत यात्रा की ओर बढ़ रहा है लोग उसके साथ अपने सगे होने के संबंध को आसमान में पहुंचाने की चेष्टा कर रहे हैं। हर कोई अपनी अभिव्यक्ति प्रकट कर रहा है। कोई कह रहा है कि भाई एक बार बात तो कर लेता, तो कोई कहता है कि काश मैं तुम्हारे टच में होता। तो कोई दुख प्रकट करता रहा है कि तुमने ऐसा कदम क्यों क्यों उठा लिया मेरे दोस्त। पर, जाने के बाद कहना और रहने पर कुछ और सोचना इंसान की फितरत होती है। जिससे आप दुख बयां करते हैं उसे समझ नहीं आता और जिसे आता है उसके पास वक्त नहीं होता। व्यस्तता इतनी रहती है कि अफसोस जाहिर करने के अलावा कुछ शेष नहीं रहता। सुशांत की मृत्यु के दिन ही कुछ घंटो बाद जिस तरह अभिनेत्री कंगना ने अपनी चुप्पी तोड़कर बालीवुड को ही कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया। एक ऐसा खुलासा किया जो करोड़ों लोगों के दिल और दिमाग को झकझोर कर रख दिया।https://www.republicworld.com/entertainment-news/bollywood-news/kangana-ranaut-on-sushant-singh-rajputs-death-kangana-ranauts-video.html
कंगना का खुलासा सबने सुना। कंगना ने डंके की चोट पर उन लोगों को ललकारा और एक प्रश्नचिंह लगा दिया जिन्होंने एक मानव के मन मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया और एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया जहां से उसे अपना जीवन सम्पूर्ण अंधकार में डूबा नजर आने लगा। ऐसा महसूस हुआ जैसे कि पहाड़ी की चोटी पर खड़ा सुशांत अब खाई में गिरने वाला है या गिर ही चुका है। जहां से सूरज अस्ताचलगामी हो रहा है और उसके बाद एक लम्बी रात होने वाली है जिसके कारण उसे कुछ दिखाई ही नहीं देगा। ऐसी परिस्थिति में एक उगता सूरज अस्त होते सूर्य को कैसे देख सकता है। खुद को अंतहीन रात्रि में ढकेलने से बेहतर सुशांत ने दिन के उजाले में अपने लिए एक नई राह चुन ली और दुनिया को स्तब्ध छोड़ दिया।


सवाल उठता है कि अचानक उगने वाले सूरज को ग्रहण किसने लगा दिया। क्या जीवन में अंकुरित नए मनोभावों ने या पुरानी शाखों ने। सोनी चैनल पर डांस मुकाबले के एक कार्यक्रम में सुशांत और अंकिता ने जोड़ी के रुप में भाग लिया था। जहां सुशांत ने प्रियंका चोपड़ा और बाकी जजों और पूरी दुनिया के सामने अंकिता को सात जन्मों के लिए मांगा था। जवाब में अंकिता ने अपने अंदाज में हामी भी भरी थी। जिससे देखने वालों को लगा कि ऐसा प्यार और कहां। लेकिन क्या यह क्या महज़ स्टंट था अपनी लोकप्रियता में चार चांद लगाने का। दिल से प्रपोज़ नहीं किया था सुशांत ने अंकिता को। यहां तक तो फिर भी मन मारके बात हजम होती है पर कृति के साथ अने के बाद और फिर न रुकने वाले सुशांत ने अपना दिल रिया चक्रवर्ती को दिया। जिससे कहीं न कहीं 6 साल के प्रेम को ठेस पहुंची। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुशांत ने अपने घर पर रिया से गठबंधन करने के लिए घरवालों से हांमी भरवा ली थी। खेल में बार बैठा खिलाड़ी तबतक बाहर बैठा रहता है जबतक उसे खेल समाप्त होता नहीं दिखता। पर खेल जब अंजाम की ओर पहुंचने लगे और खिलाड़ी अपनी बाज़ी को हारता हुआ भांप ले तो कोई न कोई तिकड़म या अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर भरसक प्रयास करता है।

अबतक पुलिस की जांच चल रही है। सबके बयान रिकार्ड हो रहे हैं। परिवार चुप है, दोस्त चुप हैं। लेकिन वो समूह जिसने उसे ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया जहां से उसे अपना जीवन शेष होता दिख गया। किसके कहने पर उन लोगों ने जो उसके करीबी थे दूरी बना ली। किसके कहने पर फिल्मों से एक एक कर निकाला जा रहा था। किसके कंधों पर सुशांत चढ़ा हआ था जिन लोगों ने उसे उतार दिया। अचानक क्या खामी नजर आने लगी इस सितारे में लोगों को। क्या ये सबकुछ प्रतिशोध की भावना के कारण सोची समझी साज़िश थी। क्या अंकिता लोखंड़े रिया चक्रवर्ती और सुशांत को सह नहीं पा रही थीं। इसलिए जिस सुशांत की मदद की उसे उसी सीढ़ी के सहारे नीचे खींच दिया। हमेशा से सुशांत इस बात को कहीं न कहीं किसी न किसी रुप में कहते नजर आते थे कि वो एक छोटे शहर के हैं और उनका कोई गाडफादर नहीं है। एक रेज़र के विज्ञापन में वो कहते हैं कि वो एक छोटे शहर के लड़के हैं। जाहिर है उसका सम्पर्क उस रेजर से कनेक्ट करने का था पर, असलियत में यह लाइन उन पर ही फिट बैठती थी। संजय लीला भंसाली जो कभी ऐश्वर्या राय के इतने फैन थे कि सारी फिल्में उनके साथ ही बनाना चाहते थे फिर दीपिका और रणवीर के साथ उन्होंने कई फिल्में हिट दीं। संजय लीला बंसाली जो अपनी गहरी सोच के लिए भी जाने जाते हैं। वहीं करण जौहर जो स्टार को महास्टार बनाने में पूर्ण रुपेण सक्षम हैं और अपने पिता के नाम को आज भी जिंदा रखे हुए हैं। वहीं एकता कपूर जिन्हें स्टार बेटी होने के साथ साथ सफल प्रोड्यूसर के तौर पर देखा जाता है जिन्होंने अपनी कई फिल्मों में अपने भाई को लेकर फिल्में बनाई तो सीरियल बनाने में उनका कोई तोड़ नहीं। प्रश्न उठता है कि क्या इन महान लोगों ने भी किसी के कहे में आकर किसी की जिन्दगी का विनाश करने में जुट गए। तमाम ऐसे प्रोग्राम डांस इंडिया डांस, लिटिल चैम, सारेगामा आदि प्रोरामों में जज की कुर्सी पर बैठे लोग इतने भावुक हो जाते हैं मानो कोई अपना भी क्या खाक भावुक होगा। लोग इतनी दरियादिली दिखाते हैं। क्या ये सब एक ढकोसला है। मात्र उनकी पटकथा जिससे उनके लिए लोग अच्छा सोचें। असल जिंदगी में तो कहानियां कुछ और ही समक्ष आती हैं। जिसे सुनकर दिल दहल जाता है।



ये जगत मिथ्या है पर इतना मिथ्या कि कोई किसी का जीवन ही किसी से छीन ले। सारे घटनाक्रम पर ध्यान से दृष्टि डालें तो प्रतीत होता है कि संभवत अंकिता लोखंड़े ने भी शायद इस घटना का अंजाम ऐसा होगा सोचा नहीं था। यह तो मात्र एक नमूना था कि जो पंख दे सकता है वो काट भी सकता है। मानसिक दबाव डालना था कि अपनी पहली सीढ़ी, अपना घर इंसान को भूलना नहीं चाहिए। कदम धरती पर हों ना हों पर मिट्टी का एहसास भूलना नहीं चाहिए।


https://www.hindustantimes.com/bollywood/kangana-ranaut-blasts-blind-items-in-wake-of-sushant-singh-rajput-s-death-asks-why-they-re-never-written-on-nepo-kids/story-h2TKVuFZlAnSceEWQ48vJK.html


https://indianexpress.com/article/entertainment/bollywood/kangana-ranaut-after-the-industry-ganged-up-on-me-i-felt-lonely-6466545/

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