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Monday 12 August 2013


संसद में वार हर बार -पर -
हद हो गयी यार.....





कभी किटेश्वर तो कभी एल ओ सी पर शहीद जवान.....तो कभी प्याज के दाम, तो कभी पेट्रोल के दाम......संसद को राकिंग बना देते हैं....संसद में शोरगुल के हजार रिज़न.....पर हर सीजन में संसद के सिर्फ और सिर्फ हंगामा होता है....रिजल्ट या सीख कुछ नेता क्या सीखते हैं.......मुझे या भारत की जनता को तो नहीं लगता.....क्योंकि संसद में हर नेता, हर पार्टी अपनी अहम भूमिका दिखाने के प्रयास में लगा रहता है.....विरोधी पक्ष बहस की मांग करते हैं.....तो विपक्ष की जनता शोर मचाने में व्यस्त रहती है ...और तरह तरह के नारे लगाये जाते हैं...संसद के अंदर.....फिर महोदय या महोदया आई मीन चेयरपर्सन आदा घंटा एक घंटा या पूरे दिन के लिए एडजर्न कर देते हैं.....इसी तरह पक्ष सत्र भर बचता है और विपक्ष घेरने की तैयारी में लगा रहता है......लुका छिपी का खेल खत्म हो जा ता है सेशन के साथ....हर बार पक्ष- विपक्ष के इस खेल में मरता है जनता का पैसा.....जिसकी इन्हें कोई कदर नहीं....मीडिया एक बार नहीं कितनी बार सरकार और जनता काध्यान दिला चुका है...कि सरकार जनता के पैसों का किस तरह दुरुपयोग कर रही है......पर सरकार ने कभी भी कोई सख्त रुख नहीं अपनाया......आखिर इसकी जबाबदेही किसकी है.......?? मुझे लगता है और जाहिर सी बात भी है .....पक्ष और विपक्ष दोनें की......क्योंकि दोनों देश के लिए काम कर रहे हैं.....जिम्मेवार दोनों हैं....पर शायद एहसास नहीं है.....

संसद देश की गवर्निंग बाडी है......संविधान से लेकर हर बड़ा, छोटा बिल पास यहीं से होता है.....देश की सत्ता यहीं से शुरु होती है.....पर जनता पर वार जारी है.....सबसे बड़े लोकतंत्र में ये ट्रेन कब तक चलेगी ...पता नहीं......जवान शहीद हो जाते हैं....मुआवजा घोषित कर देते हैं.....पर जीवन भर की तकलीफ और  परेशानियों से परिवार गुजरता है.....कितेश्वर  हिंसा का एक पहलू ये देखा गया कि जम्मू-कश्मीर के गृहमंत्री सज्जाद किचलू ने राज्य के किश्तवाड़ में हुए संघर्ष की पृष्ठभूमि में आज मुख्यमंत्री उमर अव्दुल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया...पर इससे क्या होगा....हिंसा उस व्यक्ति ने करवायी थी......या उसका हाथ था......उन्होंने कहा भी है-  कि मैं निर्दोष हूं, मैंने कुछ गलत नहीं किया है.... किश्तवाड़ मामले को लेकर अपने ऊपर लगाये गये आरोपों से मैं काफी व्यथित हूं.. पलटवार में ये पूछ भी लिया  कि - उन्होंने कहा कि क्या मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोधरा दंगे बाद इस्तीफा दिया था.....उत्तर प्रदेश में अमित शाह को क्या हुआ...उनेहें आज ही कोर्ट से राहत मिली है ...हाजिर होने और हाजिरी लगाने से बच गये.....सरकार ने जांच के आदेश भी जारी कर दिये.....और किश्तवाड़ और आसपास के इलाकों में हुर्ह हिंसा की घटनाओं पर उसने जम्मू-कश्मीर सरकार से एक रिपोर्ट मांगी है......एक टीवी साक्षात्कार में जम्मू -कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने एक प्रश्न पृछा गया कि आप ट्विटर पर उत्तर दे रहे थे और उधर हिंसा चरम पर पहुंच रही थी...उनका उत्तर था कि मैं घर में बंद नहीं था...जमाना मोबाइल और ट्विटर का है...मैं काम करते करते ये सारी चीजें कर सकता हूं.....
सवाल ये उठता है कि क्या मुख्यमंत्री का फेसबुक और ट्विटर पर उत्तर देना ज्यादा जरुरी था या हिंसा को कंट्रोल में लाना.....अरुण जेटली को जाने से रोका गया ....ये भी बहस का मुद्दा बना संसद में.......कि क्या छुपाया जा रहा है...भारत की जनता से.......जम्मू -कश्मीर की पी डी पी की मुफ्ती महबूबा ने सरकार को दोषी बताया....और स्थिति को बेकाबू बताया......इस कम्यूनल हिंसा में सियासी फायदा का मुद्दा उठाया जा रहा है......सेना बुलाने में देर हुई.....क्या कहीं औसा तो नहीं कि हमारे कुछ नेता साजफायर जो एक दिन में 3 बार उल्लघन होने के बावजूद स्टेट सरकार हाई अलर्ट क्यूं नहीं जारी किया गया......ओमर अब्दुल्ला का खुले आम हिन्दू- मुसलमान की हिंसा का नाम दे दिया....जबकि ऐसा नहीं किया जाता है......

पर, एक निगाह मैं उस ओर डालना चाहूंगी कि पाक में एल ओ सी का उल्लंघन के साथ -साथ इस हिंसा को बढावा दिया है....कहीं ये पड़ोसी देश को सहारा देने का तरीका तो नहीं है......3 लोगों की जान जाना शायद हिंसा में घटित छोटी घटना हो सकती है...पर होता क्यूं है ऐसा.....
हमेशा इस जुलाई से लेकर दिसम्बर -जनवरी का महीना घुसपैठ की दृष्टि से सही माना जाता है......ओमर अब्दुल्ला का एक टी वी चैनल को दिये इंटरव्यू में कहा कि मैं अरुण जेटली साहब को हर उस जगह देखना चाहूंगा जहां ऐसी कम्यूनल हिंसा हो...एक तरीके से आप आमंत्रित कर रहे हैं...ऐसी हिंसाओं को......या भविष्य में अगर ऐसी हिंसा होती है तो ओमर साहब क्या खुश होगें.....??चिदम्बरम साहब गृह मंत्री सुशील कुमार जी की बीमारी की वजह से चिदम्बरम साहब टैकल कर रहे हैं......उन्होंने कहा कि 1990 की स्थिति पैदा नहीं होने देंगें......1990 की परिस्थितियां कभी न आये...क्योंकि जिनपर गुजरी थी....केवल वो ही जानते हैं.......दूसरा कोई नहीं.......अपने घर में अपने ही घर से लखेदा गया था.....भाग -भाग कर कश्मीरी पंडित तितर -बितर हो गये थे.....वो त्रासदी थी......

आरोप- प्रत्यारोप, सवाल -जवाब ,हिंसायें  तब तक होती रहेंगीं जब तक सियासी दौर चलेंगें...और सियासत कभी धरती से शायद खत्म नहीं हो सकती...क्योंकि कोई न कोई तो शासक होगा ला एंड आर्डर और देश की तमाम व्यवस्थाओं को चलाने के लिए.........पर विदेशी गुलाम बनने से अच्छा है कि आपस में मिलकर देश की एकजुटता को बढायें ना कि विदेशी और बाहरी ताकतों से मिलकर अपनी जड़ें खोखली करें......

सर्वमंगला मिश्रा
9717827056











Sunday 11 August 2013


सर संत जी पहुंच गये....



लो भई संत जी आ गये...जिनका इंतजार महीनों से हो रहा था...ईद का पर्व खत्म होते ही ईद का चांद धरती पर उतर आया....मन कह रहा है कि गाऊं...देखो चांद आया....चांद नजर आया....आया आया आया.......हा हा हा.....ये पुण्य धरती है हैदराबाद की...जहां महामानव , संत और देश में एक राज्य को माडल के रुप में पेश करने वाले संत अभी अभी पधारे हैं......

रास्ते में आते आते संत जी ने अपनी चिंता भी जाहिर की है....कश्मीर में हुई फ्रेस हिंसा पर....कहा- जम्मू - कश्मीर के किश्तवाड़ में हो रही हिंसा और आतंक की घटनायें सारे देशवासियों के लिये चिंता का विषय है |और अंग्रेजी में ये -
Instances of violence in Kishtwar region of Jammu & Kashmir is a matter of serious national concern. Peace should prevail there.


संत की चिंता लाजमी है...आखिर उनका सपना जो है ...जहां वो बैठेगें...वहां बैठने के बाद उन्हें भी तो इसे डील करना होगा...मजबूती के साथ...पर वो मजबूती कितनी होगी ...ये देखने वाली बात होगी....पर , कुर्सी इंसान को क्या से क्या बनने पर मजबूर कर देती है....ये बात इस संत से सीख लेने की आवश्यकता है.....क्यों....वैसे तो बहुत से रोल माडल है पर ये रोल माडल ....भाई जबरदस्त है......
गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी चुनाव समिति के प्रमुख नरेंद्र मोदी आज हैदराबाद के हैदराबाद के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में से चुनाव अभियान की शुरूआत करने के लिए हैदराबाद की धरती पर पदार्पण हो चुके हैं। नवभारत युवाभेरी के बैनर तले होने वाली इस रैली में करीब 1 लाख लोगों के हिस्सा लेने का दावा किया जा रहा है। रैली की यू एस पी है कि इसमें हिस्सा लेने वालों ने 5 रुपए का टिकट खरीदा है। मोदी की कीमत है....5रु या प्रचार करवाने के लिए कीमत घटा दी गयी....पर एक बात है...बूंद -बूंद से घड़ा भरता है....फंड बढिया जुट सकता है..नरेंद्र मोदी की ये रैली इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि आयोजकों ने उत्तराखंड बाढ़ पीड़ितों की सहायता के नाम पर इसके लिए 5 रुपए का टिकट रखा है...पर....साउथ में मोदी की पहचान कैसी और कितनी है...इसका नजारा कुछ दिन पहले ही कर्नाटक में देखा जा चुका है.....भगवा रंग में रंग चुके इस मैदान से आज बीजेपी की तरफ से पीएम पद के संभावित उम्मीदवार नरेंद्र मोदी अपने 'मिशन दिल्ली' की शुरूआत करेंगे। इस रैली के जरिए मोदी देश के नौजवानों को संबोधित करेंगे, नौजवानों को जोड़ने के मकसद से ही इस रैली को नवभारत युवाभेरी का नाम दिया गया है। माना जा रहा है कि इस रैली के जरिए मोदी तेलंगाना से लेकर देश की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधेंगे....तो क्या भाई लोग छोड़ेंगे.....वैसे मोदी की चतुराई बोलने तक ही तो सीमीत लगती है....कितनी मेहनत करते हैं इतना पानी पीते हैं कि....सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 946 गांव तकरीबन सूखे की चपेट में आ गये थे.....
पर सर संत कहेंगें क्या.....हमने गुजरात को क्या से क्या बना दिया.....हैदराबाद का भौगोलिक परिचय और कच्छ का -गुजरात का भौगोलिक भिन्नतायें काफी हद तक भिन्न हैं.....पार्टियों की भी भौगोलिक और मानसिक दशा में भी भिन्नता है........30 हजार की क्षमता वाले स्टेडियम में पार्टी के दावे के मुताबिक 1 लाख से ऊपर लोग मोदी को सुनेंगें......tv screens लगाये गये हैं.......तैकि बात पूरी पहुंचे.....देखें बात कितनी दूर तलक पहुंचेगी.......  


Thursday 8 August 2013

South Block -BE- aware of Pak's "K" Plan



 देश की राह कितनी कठिन....क्या हम फिर से गुलाम बनने वाले हैं ....??अपने छोटे भाई के ....??जी हां लगता तो ऐसा ही है....जिस तरीके से देश के राजनीती की दशा और दिशा बदल रही है..आज .उससे अंदाजा तो यही लगता है.....नेता, एम एल ए, सांसद सभी बिके हुए हैं....देश देश की राजनीती की तरह नहीं चल रहा बल्कि बाहरी ताकतों के दबाव में या कहा जाय कि उनके ईशारों पर चल रहा है....नेता कठपुतली हो गये हैं.....अब देश क्या समझे हमारे शांत रहने वाले पी एम मनमोहन सिंह जी शातिर नवाज के सामने मुंह खोल पायेंगें....और अगर खोलें भी तो क्या देश की सुरक्षा चाक- चौबंद कर पायेंगें.....??? सितम्बर में न्यूयार्क में होने वाली मीटीग कितनी कारगर हो पायेगी.....देश की समझ से बाहर की बात है....

वार्ता पर वार्ता, राउंड टेबल मीटिंग पर कितनी कारगर होती हैं ये मीटिंग....नवाज शरीफ तीसरी बार पाक की गद्दी पर विराजमान हुए हैं.....जाहिर सी बात है मुशर्रफ को हटाना इतना आसान न था....तो सोचने वाली बात ये है कि वो कौन सी ताकतें हैं....जिनके दम पर शरीफ दम भर रहे हैं.....

5 जवान शहीद हुए LoC  पर.....मंत्री भीम सिंह ने क्या कहा....सेना की नौकरी होती ही है शहीद होने के लिए...आप थोड़े ना शहीद होगें....----बिल्कुल जवान शपथ लेता है....डाक्टर शपथ लेता है...वकील, जज शपथ लेता है....मंत्री प्रधानमंत्री सभी तो शपथ लेते हैं.....पर क्या सभी अपने शपथ की कदर कर पातेहैं....यैद रहती है उन्हें अपने शपथ की ओज़.....फिर क्यूं अकेला सैनिक पिसे....जबरदस्ती....की शहादत...वो क्या मरने की कसम खा कर पैदा हुआ था...जो उसके मरने पर उसके परिवार और देशवालों को जवाब मांगने का अधिकार ही नहीं रहा...क्योंकि भाई वो तो शहादत की पट्टी बांधकर पैदा हुआ था.......?? 

शंभुनाथ शरन, विजय हों या सौरभ कालिया क्यूं दे ये शहादत....इनकी जान क्या अनमोल नहीं....चीन ने LoC का उल्लंघन किया ....वार्ता हुई खुर्शीद साहब को लगा...अरे!!! ये क्या हो गया....गया मेरा ट्रीप.....चलो ट्रीप भी कर के आ गये....पर क्या मसला गल हुआ...क्या भारतवासी चैन से अब सो सकेंगें...निश्चिंतता की सांस ले सकेंगें कि अब सचमुच हिन्दी चीनी भाई- भाई हो गये....और शरीफ साहब से सितम्बर में गुफ्तगु कहीं 1999 की तरह आने वाले तूफान की सुगबुगाहट तो नहीं......

Patience of the Indian people are running out now......


भारतीय मीडिया चीख चीख कर कह रही है ....जनता चीख रही है...पर सरकार और विपक्ष अपनी -अपनी खींचतान में व्यस्त रहती है.....और जनता का भद्दा मनोरंजन करने का प्रयास करती है....उन्हें तो लाफ्टर कल्ब के प्रोग्राम में पार्टीसीपेट करना चाहिए..........


Sarvamangala Mishra

9717827056

Wednesday 7 August 2013




LOC खतरनाक नहीं अब खूनी हो गयी...

वाद विवाद, प्रतिवाद...पर क्या होगी ये गुस्ताखी माफ...?? एक बार नहीं कई बार किया माफ ...पर सुधरा नहीं देश- विदेश....06 अगस्त 2013 पूंछ का इलाका सरला पोस्ट पर सीमा उस पार से फिर हुआ हमला....रात में सन्नाटे में....खौफ के साये में...क्योंकि कायर रात में ही हमला कर पाते हैं...दिन के उजाले में नहीं.....5 जवानों को शहीद कर डाला.....अपने नापाक मनसूबों में एक बार फिर फतह हासिल कर डाली....हम बहस में मशरुफ हैं...पूरा देश शोक में डूब गया....शहीद के परिवार ने शहीद होने की रकम को लात मारी....जिसके बाद उन्हें भी पता है.....कि उनका जीने का सहारा अब इस दुनिया में नहीं है.....सरकार से मांग की परिवारों ने कि ईंट का जवाब पत्थर से दें....उन्हें इंसाफ चाहिए....ज्यादा दिन नहीं बीता एक मां अपने बेटेका सिर सरकार से मांगती रही....पर सरकार, सर झुकाये खड़ी रही....कुछ न कर सकी....कर सकी तो दो पुराने मुजरिमों को फांसी दी.....खैर...पर सवाल उठता है ये शहादत कब तक....???

कब तक ये परिवार अपने अपनों को खोते रहेंगे.....कब तक उनके बच्चे अनाथ होते रहेंगे....और देश के नेता अफसोस जताकर, दुखद घटना बताकर एसी रुम में जाकर अपनी अगली रणनीती बनाने में लग जाते हैं...फेशियल एक्सप्रेशन यही कहता है - ठीक है यार ....5 जवान ही तो मरे हैं.....देशभक्त बना दो....इनाम और मरमोपरांत तमगा और शाल दे देगें......क्यों शाल और वीरता पुरस्कार से क्या उस सान की कमी पूरी कर सकती है सरकार....??? 

जीवन का इस तरह तहस नहस होना क्या यूंही चलता रहेगा....क्या देश की सेवा करने का जज्बा खत्म हो जायेगा....क्योंकि इन शहादतों को ना तो सरकार याद करती है ना सबक लेती है....तो बेवजह क्यों ये जवान अपनी कुर्बानी देते रहेंगें.....संसद में हंगामा, विरोधी पार्टियों का सदन में एक एक वाक्य का अर्थ निकालना...पर क्या....अपने समय में वही नेतागण खुद जवाब दे पाते हैं....क्या उन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो पाता है.....विरोधी पक्ष विरोध करता है और पक्ष अपने बचाव में जुटी रहती है......न्यूज चैनल पर पब्लिक दोनों पक्षों का वाद विवाद का आनन्द उठाती है....इंटलेक्चुअल बातें करती हैं.....अंदाज शेरो शायरी में बह जाती है...मुद्दा वहीं का वहीं रह जाता है.....फिर एक हमला होता है...वार्ता चलती रहती है.....जवान शहीद होते रहते हैं.....क्यों ऐसा होता है.....

हमला कैसे हुआ....किसने वर्दी हमारी पहनी...या धोखे से हमला किया....मसला है हमला हुआ....5 जवान शहीद हुए....और ध्यान देने की बात ये है कि शरीफ जी शराफत कब सीखेंगे.....कब बड़े होगें...सितम्बर में मनमोहन सिंह जी की वार्ता होनी है....पर हर बार....शरीफ जी शरीफाई से धोखा देने में चूकते नहीं है.....चाहे आगरा वार्ता हो या याद कर लें आप खुद भी.....कभी भी शरीफ और इंसानियत के दायरे में कभी दोस्ती की नजर और जबान पर यदि वो कायम रहे हों.......

---सर्वमंगला मिश्रा
9717827056


  मिस्टिरियस मुम्बई  में-  सुशांत का अशांत रहस्य सर्वमंगला मिश्रा मुम्बई महानगरी मायानगरी, जहां चीजें हवा की परत की तरह बदलती हैं। सुशां...