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Thursday 12 September 2013



सोशल मीडिया अकस्मात या साजिश ??


कुछ ऐसी राजनैतिक पार्टियां हैं जो चाहती हैं कि राज्य उन्नति ना करे...ये कहना है देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का......आजकल उत्तर प्रदेश के एक जिले ने पूरे देश का ध्यान मोदी से कुछ पल के लिए हटा दिया है.....ये जिला है-मुज्जफरपुर.....जहां सांप्रदायिक दंगों के बाद सेना को फ्लैग मार्च तक करना पड़ा.....9 लोगों की मौत के बाद ही तत्काल प्रभाव में रैफ और पीएसी के सेना दस्तों को तैनात करना पड़ा.... मरने वालों की संख्या अब तक बढकर 33 के आसपास तक पहुंच चुकी है......जिसमें आई बी एन 7 के पार्ट टाइम पत्रकार राजेश वर्मा सहित एक फोटोग्राफर की भी मौत हो गयी.....

सवाल आज बड़ा यहां उठता है कि सोशल मीडिया पर क्या किसी भी सामाजिक – असमाजिक तथ्यों को अपलोड होने देना चाहिए......?? कुछ महीनों पहले ही बाला साहब ठाकरे की मौत के उपरांत महाराष्ट्र की लड़कियों को इसी सोशल मीडिया के चक्कर में जेल तक जाना पड़ा था.....मामला महाराष्ट्र के शहंशाह पर टिप्पणी करने का, वो नतीजा था......मुजफ्फरपुर में भी इसी सोशल मीडिया के चलते इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया जिससे 38 लोगों की जानें चली गयी.....फेक दंगों का वीडियो, सोशल मीडिया के बहुचर्चित साइट फेसबुक पर अपलोड होने से जो फास्ट सरकुलेशन हुआ.....ये दंगा उसी का नतीजा है.....हूकमत जबतक समझती तब तक स्थानीय असामाजिक तत्व अपने मकसद में कामयाब हो चुके थे....
सोशल मीडिया का आविर्भाव हुआ था - जो अपने अपनों से दूर हैं;मित्र, सगे –संबंधी इत्यादि....जो  इस माध्यम के जरिये एक दूसरे के संपर्क में रहकर एक दूसरे से जुड़े रह सकें.....धीरे धीरे ये रोजमर्रा की  आदत में शामिल हो गया ....और उसके बाद बेमतलब की बीमारी और लत की तरह हो गया है....आज व्यक्ति मेल चेक करने के बाद कम्प्यूटर बंद करने के वक्त ही सही एक बार मंदिर में माथा टेकने की तरह फेसबुक अवश्य खोलेगा.....वरना रात को चैन की नींद नहीं आयेगी..... ऐसा ट्रेंड हो चला है....कालेज स्टूडेंटस के लिए जिंदगी है या कहना चाहिए कि आक्सीजन है...फेसबुक, ट्वीटर पर बैठकर मित्रों के साथ साथ फैकल्टी मेम्बर से भी चैट करते हैं...और असाइंमेंट आनलाइन सबमिट कर देते हैं.....ये तो एडवांस टेक्नोलाजी की प्रतिभा है जहां भारत गर्व के साथ विश्व के सामने खड़ा है...आजकल राजनेता भी फेसबुक का इस्तेमाल जमकर करते हैं....और अपनी पापुलैरिटी बढाने और जन- जन तक पहुंचने का सुगम माध्यम माना ने लगा है....राहुल गांधी, सुषमा स्वराज, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह सभी के अपने फेसबुक एकाउंट और ट्वीटर पेजेज हैं...जहां उनकी गतिविधियां सहजतापूर्वक देखी जा सकती हैं....पर, कुछ असामाजिक तत्व जो इन सुविधाओं का मखौल उड़ाने में अपनी गरिमा समझते हैं....उन्हें और देश में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए सरकार की ओर से इतनी पहल तो जरुर होनी चाहिए कि कुछ आंखों की नजरबंदी में हर हरकत जबाबदार हो.....जिससे कानून का मखौल ना उड़ सके.....
मुजफ्फरपुर के इस दंगे के बाद राजनैतिक सरगर्मियां अपने आप तेज हो गयीं....तीनबार मुख्यमंत्री का ताज पहनने वाली अकेली महिला मुख्यमंत्री बहनजी मायावती ने आपाधापी में राष्ट्रपति शासन की मांग कर डाली...पलटवार के तीर बहनजी के यहीं नहीं थमे....उन्होंने बीजेपी और एस पी पार्टियों को कटघरे मे लाकर खड़ा कर दिया ...तो विरोधी पार्टियों ने जमकर हमला बोला और अखिलेश सरकार के साथ साथ केन्द्र को भी चपेट में ले लिया और इसे चुनावी मुद्दा बताकर सरकार पर जमकर निशाना साधा..... बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने अखिलेश सरकार की जमकर खिंचाई की और साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी और राजकुमार और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल खड़े कर दिये.....पर, वहीं बीमारी से उठे गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पार्टी का पक्ष मजबूत करते हुए ये बयान दे डाला कि केन्द्र ने अखिलेश सरकार को दंगों के पहले आगाह किया गया था.....तो सवाल यही उठता है हर बार चाहे आतंकी हमले हों या सीजफायर वायलेशन का मामला सरकार आगाह करती है इंटेलेजेंस आगाह करता है फिर चूक किससे और कहां हो जाती है ....जिससे देश को ऐसी परिस्थितियों का सामना करने को मजबूर होना पड़ता है....और बेवजह लाशों का ढेर, एक खौफनाक मंजर पेश कर आंखों में तकलीफ और सरकार पर सवालिया निशान छोड़ जाता है......
   
हालात इतने गंभीर हैं कि संभवत मुजफ्फरपुरवासियों को कई दिनों तक शायद आतंक के साये में दिन निकालना पड़े ...क्योंकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पारामिलिटरी फोर्सेस की 50 कंपनियों की मांग केन्द्र सरकार से की है.....प्रधानमंत्री ने हर संभव सहायता देने का आश्वासन भी राज्य सरकार को दे डाला...भई सही बात है...अभी केन्द्र सरकार हर पल सजग रहना चाहती है 2014 के चुनाव सर पर जो है....इस दंगे में बीजेपी के 4 एम एल ए और एक कांग्रेस नेता के उपर भी एफ आई आर दर्ज हुआ है...35 लोगों की गिरफ्तारियां और तकरीबन 200 लोगों पर एफ आई आर....गौरतलब है कि क्या सरकार अपने काम दिखाकर जनता से वोट मांगने में हिचकिचाती है या सपा, बसपा, बीजेपी जैसी पार्टियां ऐसे मौकों का दामन थामकर अपने-अपने चुनावी जहाज को पार लगाना चाहती है....पर, ज़हन में बात उठती है कि कब तक बन्दूक की नोक पर शांति कायम रख पाने में राज्य सरकारें या केन्द्र सरकार सक्षम होने का दम्भ भर पायेंगी.....क्योंकि सरकार ने यदि अब भी नहीं चेता तो सोशल मीडिया जिससे आप अपनों से जुड़े रहते हैं...कहीं अंत में कहीं इसे बैन करने की स्थिति ना पैदा हो जाये...इसलिए कानून के तहत हर सुविधा और मनोरंजन की वस्तु जनता के लिए उपलब्ध होनी चाहिए....


--Sarvamangala Mishra
9717827056

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