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Thursday 12 September 2013



सोशल मीडिया अकस्मात या साजिश ??


कुछ ऐसी राजनैतिक पार्टियां हैं जो चाहती हैं कि राज्य उन्नति ना करे...ये कहना है देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का......आजकल उत्तर प्रदेश के एक जिले ने पूरे देश का ध्यान मोदी से कुछ पल के लिए हटा दिया है.....ये जिला है-मुज्जफरपुर.....जहां सांप्रदायिक दंगों के बाद सेना को फ्लैग मार्च तक करना पड़ा.....9 लोगों की मौत के बाद ही तत्काल प्रभाव में रैफ और पीएसी के सेना दस्तों को तैनात करना पड़ा.... मरने वालों की संख्या अब तक बढकर 33 के आसपास तक पहुंच चुकी है......जिसमें आई बी एन 7 के पार्ट टाइम पत्रकार राजेश वर्मा सहित एक फोटोग्राफर की भी मौत हो गयी.....

सवाल आज बड़ा यहां उठता है कि सोशल मीडिया पर क्या किसी भी सामाजिक – असमाजिक तथ्यों को अपलोड होने देना चाहिए......?? कुछ महीनों पहले ही बाला साहब ठाकरे की मौत के उपरांत महाराष्ट्र की लड़कियों को इसी सोशल मीडिया के चक्कर में जेल तक जाना पड़ा था.....मामला महाराष्ट्र के शहंशाह पर टिप्पणी करने का, वो नतीजा था......मुजफ्फरपुर में भी इसी सोशल मीडिया के चलते इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया जिससे 38 लोगों की जानें चली गयी.....फेक दंगों का वीडियो, सोशल मीडिया के बहुचर्चित साइट फेसबुक पर अपलोड होने से जो फास्ट सरकुलेशन हुआ.....ये दंगा उसी का नतीजा है.....हूकमत जबतक समझती तब तक स्थानीय असामाजिक तत्व अपने मकसद में कामयाब हो चुके थे....
सोशल मीडिया का आविर्भाव हुआ था - जो अपने अपनों से दूर हैं;मित्र, सगे –संबंधी इत्यादि....जो  इस माध्यम के जरिये एक दूसरे के संपर्क में रहकर एक दूसरे से जुड़े रह सकें.....धीरे धीरे ये रोजमर्रा की  आदत में शामिल हो गया ....और उसके बाद बेमतलब की बीमारी और लत की तरह हो गया है....आज व्यक्ति मेल चेक करने के बाद कम्प्यूटर बंद करने के वक्त ही सही एक बार मंदिर में माथा टेकने की तरह फेसबुक अवश्य खोलेगा.....वरना रात को चैन की नींद नहीं आयेगी..... ऐसा ट्रेंड हो चला है....कालेज स्टूडेंटस के लिए जिंदगी है या कहना चाहिए कि आक्सीजन है...फेसबुक, ट्वीटर पर बैठकर मित्रों के साथ साथ फैकल्टी मेम्बर से भी चैट करते हैं...और असाइंमेंट आनलाइन सबमिट कर देते हैं.....ये तो एडवांस टेक्नोलाजी की प्रतिभा है जहां भारत गर्व के साथ विश्व के सामने खड़ा है...आजकल राजनेता भी फेसबुक का इस्तेमाल जमकर करते हैं....और अपनी पापुलैरिटी बढाने और जन- जन तक पहुंचने का सुगम माध्यम माना ने लगा है....राहुल गांधी, सुषमा स्वराज, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह सभी के अपने फेसबुक एकाउंट और ट्वीटर पेजेज हैं...जहां उनकी गतिविधियां सहजतापूर्वक देखी जा सकती हैं....पर, कुछ असामाजिक तत्व जो इन सुविधाओं का मखौल उड़ाने में अपनी गरिमा समझते हैं....उन्हें और देश में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए सरकार की ओर से इतनी पहल तो जरुर होनी चाहिए कि कुछ आंखों की नजरबंदी में हर हरकत जबाबदार हो.....जिससे कानून का मखौल ना उड़ सके.....
मुजफ्फरपुर के इस दंगे के बाद राजनैतिक सरगर्मियां अपने आप तेज हो गयीं....तीनबार मुख्यमंत्री का ताज पहनने वाली अकेली महिला मुख्यमंत्री बहनजी मायावती ने आपाधापी में राष्ट्रपति शासन की मांग कर डाली...पलटवार के तीर बहनजी के यहीं नहीं थमे....उन्होंने बीजेपी और एस पी पार्टियों को कटघरे मे लाकर खड़ा कर दिया ...तो विरोधी पार्टियों ने जमकर हमला बोला और अखिलेश सरकार के साथ साथ केन्द्र को भी चपेट में ले लिया और इसे चुनावी मुद्दा बताकर सरकार पर जमकर निशाना साधा..... बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने अखिलेश सरकार की जमकर खिंचाई की और साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी और राजकुमार और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल खड़े कर दिये.....पर, वहीं बीमारी से उठे गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पार्टी का पक्ष मजबूत करते हुए ये बयान दे डाला कि केन्द्र ने अखिलेश सरकार को दंगों के पहले आगाह किया गया था.....तो सवाल यही उठता है हर बार चाहे आतंकी हमले हों या सीजफायर वायलेशन का मामला सरकार आगाह करती है इंटेलेजेंस आगाह करता है फिर चूक किससे और कहां हो जाती है ....जिससे देश को ऐसी परिस्थितियों का सामना करने को मजबूर होना पड़ता है....और बेवजह लाशों का ढेर, एक खौफनाक मंजर पेश कर आंखों में तकलीफ और सरकार पर सवालिया निशान छोड़ जाता है......
   
हालात इतने गंभीर हैं कि संभवत मुजफ्फरपुरवासियों को कई दिनों तक शायद आतंक के साये में दिन निकालना पड़े ...क्योंकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पारामिलिटरी फोर्सेस की 50 कंपनियों की मांग केन्द्र सरकार से की है.....प्रधानमंत्री ने हर संभव सहायता देने का आश्वासन भी राज्य सरकार को दे डाला...भई सही बात है...अभी केन्द्र सरकार हर पल सजग रहना चाहती है 2014 के चुनाव सर पर जो है....इस दंगे में बीजेपी के 4 एम एल ए और एक कांग्रेस नेता के उपर भी एफ आई आर दर्ज हुआ है...35 लोगों की गिरफ्तारियां और तकरीबन 200 लोगों पर एफ आई आर....गौरतलब है कि क्या सरकार अपने काम दिखाकर जनता से वोट मांगने में हिचकिचाती है या सपा, बसपा, बीजेपी जैसी पार्टियां ऐसे मौकों का दामन थामकर अपने-अपने चुनावी जहाज को पार लगाना चाहती है....पर, ज़हन में बात उठती है कि कब तक बन्दूक की नोक पर शांति कायम रख पाने में राज्य सरकारें या केन्द्र सरकार सक्षम होने का दम्भ भर पायेंगी.....क्योंकि सरकार ने यदि अब भी नहीं चेता तो सोशल मीडिया जिससे आप अपनों से जुड़े रहते हैं...कहीं अंत में कहीं इसे बैन करने की स्थिति ना पैदा हो जाये...इसलिए कानून के तहत हर सुविधा और मनोरंजन की वस्तु जनता के लिए उपलब्ध होनी चाहिए....


--Sarvamangala Mishra
9717827056

Monday 12 August 2013


संसद में वार हर बार -पर -
हद हो गयी यार.....





कभी किटेश्वर तो कभी एल ओ सी पर शहीद जवान.....तो कभी प्याज के दाम, तो कभी पेट्रोल के दाम......संसद को राकिंग बना देते हैं....संसद में शोरगुल के हजार रिज़न.....पर हर सीजन में संसद के सिर्फ और सिर्फ हंगामा होता है....रिजल्ट या सीख कुछ नेता क्या सीखते हैं.......मुझे या भारत की जनता को तो नहीं लगता.....क्योंकि संसद में हर नेता, हर पार्टी अपनी अहम भूमिका दिखाने के प्रयास में लगा रहता है.....विरोधी पक्ष बहस की मांग करते हैं.....तो विपक्ष की जनता शोर मचाने में व्यस्त रहती है ...और तरह तरह के नारे लगाये जाते हैं...संसद के अंदर.....फिर महोदय या महोदया आई मीन चेयरपर्सन आदा घंटा एक घंटा या पूरे दिन के लिए एडजर्न कर देते हैं.....इसी तरह पक्ष सत्र भर बचता है और विपक्ष घेरने की तैयारी में लगा रहता है......लुका छिपी का खेल खत्म हो जा ता है सेशन के साथ....हर बार पक्ष- विपक्ष के इस खेल में मरता है जनता का पैसा.....जिसकी इन्हें कोई कदर नहीं....मीडिया एक बार नहीं कितनी बार सरकार और जनता काध्यान दिला चुका है...कि सरकार जनता के पैसों का किस तरह दुरुपयोग कर रही है......पर सरकार ने कभी भी कोई सख्त रुख नहीं अपनाया......आखिर इसकी जबाबदेही किसकी है.......?? मुझे लगता है और जाहिर सी बात भी है .....पक्ष और विपक्ष दोनें की......क्योंकि दोनों देश के लिए काम कर रहे हैं.....जिम्मेवार दोनों हैं....पर शायद एहसास नहीं है.....

संसद देश की गवर्निंग बाडी है......संविधान से लेकर हर बड़ा, छोटा बिल पास यहीं से होता है.....देश की सत्ता यहीं से शुरु होती है.....पर जनता पर वार जारी है.....सबसे बड़े लोकतंत्र में ये ट्रेन कब तक चलेगी ...पता नहीं......जवान शहीद हो जाते हैं....मुआवजा घोषित कर देते हैं.....पर जीवन भर की तकलीफ और  परेशानियों से परिवार गुजरता है.....कितेश्वर  हिंसा का एक पहलू ये देखा गया कि जम्मू-कश्मीर के गृहमंत्री सज्जाद किचलू ने राज्य के किश्तवाड़ में हुए संघर्ष की पृष्ठभूमि में आज मुख्यमंत्री उमर अव्दुल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया...पर इससे क्या होगा....हिंसा उस व्यक्ति ने करवायी थी......या उसका हाथ था......उन्होंने कहा भी है-  कि मैं निर्दोष हूं, मैंने कुछ गलत नहीं किया है.... किश्तवाड़ मामले को लेकर अपने ऊपर लगाये गये आरोपों से मैं काफी व्यथित हूं.. पलटवार में ये पूछ भी लिया  कि - उन्होंने कहा कि क्या मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोधरा दंगे बाद इस्तीफा दिया था.....उत्तर प्रदेश में अमित शाह को क्या हुआ...उनेहें आज ही कोर्ट से राहत मिली है ...हाजिर होने और हाजिरी लगाने से बच गये.....सरकार ने जांच के आदेश भी जारी कर दिये.....और किश्तवाड़ और आसपास के इलाकों में हुर्ह हिंसा की घटनाओं पर उसने जम्मू-कश्मीर सरकार से एक रिपोर्ट मांगी है......एक टीवी साक्षात्कार में जम्मू -कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने एक प्रश्न पृछा गया कि आप ट्विटर पर उत्तर दे रहे थे और उधर हिंसा चरम पर पहुंच रही थी...उनका उत्तर था कि मैं घर में बंद नहीं था...जमाना मोबाइल और ट्विटर का है...मैं काम करते करते ये सारी चीजें कर सकता हूं.....
सवाल ये उठता है कि क्या मुख्यमंत्री का फेसबुक और ट्विटर पर उत्तर देना ज्यादा जरुरी था या हिंसा को कंट्रोल में लाना.....अरुण जेटली को जाने से रोका गया ....ये भी बहस का मुद्दा बना संसद में.......कि क्या छुपाया जा रहा है...भारत की जनता से.......जम्मू -कश्मीर की पी डी पी की मुफ्ती महबूबा ने सरकार को दोषी बताया....और स्थिति को बेकाबू बताया......इस कम्यूनल हिंसा में सियासी फायदा का मुद्दा उठाया जा रहा है......सेना बुलाने में देर हुई.....क्या कहीं औसा तो नहीं कि हमारे कुछ नेता साजफायर जो एक दिन में 3 बार उल्लघन होने के बावजूद स्टेट सरकार हाई अलर्ट क्यूं नहीं जारी किया गया......ओमर अब्दुल्ला का खुले आम हिन्दू- मुसलमान की हिंसा का नाम दे दिया....जबकि ऐसा नहीं किया जाता है......

पर, एक निगाह मैं उस ओर डालना चाहूंगी कि पाक में एल ओ सी का उल्लंघन के साथ -साथ इस हिंसा को बढावा दिया है....कहीं ये पड़ोसी देश को सहारा देने का तरीका तो नहीं है......3 लोगों की जान जाना शायद हिंसा में घटित छोटी घटना हो सकती है...पर होता क्यूं है ऐसा.....
हमेशा इस जुलाई से लेकर दिसम्बर -जनवरी का महीना घुसपैठ की दृष्टि से सही माना जाता है......ओमर अब्दुल्ला का एक टी वी चैनल को दिये इंटरव्यू में कहा कि मैं अरुण जेटली साहब को हर उस जगह देखना चाहूंगा जहां ऐसी कम्यूनल हिंसा हो...एक तरीके से आप आमंत्रित कर रहे हैं...ऐसी हिंसाओं को......या भविष्य में अगर ऐसी हिंसा होती है तो ओमर साहब क्या खुश होगें.....??चिदम्बरम साहब गृह मंत्री सुशील कुमार जी की बीमारी की वजह से चिदम्बरम साहब टैकल कर रहे हैं......उन्होंने कहा कि 1990 की स्थिति पैदा नहीं होने देंगें......1990 की परिस्थितियां कभी न आये...क्योंकि जिनपर गुजरी थी....केवल वो ही जानते हैं.......दूसरा कोई नहीं.......अपने घर में अपने ही घर से लखेदा गया था.....भाग -भाग कर कश्मीरी पंडित तितर -बितर हो गये थे.....वो त्रासदी थी......

आरोप- प्रत्यारोप, सवाल -जवाब ,हिंसायें  तब तक होती रहेंगीं जब तक सियासी दौर चलेंगें...और सियासत कभी धरती से शायद खत्म नहीं हो सकती...क्योंकि कोई न कोई तो शासक होगा ला एंड आर्डर और देश की तमाम व्यवस्थाओं को चलाने के लिए.........पर विदेशी गुलाम बनने से अच्छा है कि आपस में मिलकर देश की एकजुटता को बढायें ना कि विदेशी और बाहरी ताकतों से मिलकर अपनी जड़ें खोखली करें......

सर्वमंगला मिश्रा
9717827056











Sunday 11 August 2013


सर संत जी पहुंच गये....



लो भई संत जी आ गये...जिनका इंतजार महीनों से हो रहा था...ईद का पर्व खत्म होते ही ईद का चांद धरती पर उतर आया....मन कह रहा है कि गाऊं...देखो चांद आया....चांद नजर आया....आया आया आया.......हा हा हा.....ये पुण्य धरती है हैदराबाद की...जहां महामानव , संत और देश में एक राज्य को माडल के रुप में पेश करने वाले संत अभी अभी पधारे हैं......

रास्ते में आते आते संत जी ने अपनी चिंता भी जाहिर की है....कश्मीर में हुई फ्रेस हिंसा पर....कहा- जम्मू - कश्मीर के किश्तवाड़ में हो रही हिंसा और आतंक की घटनायें सारे देशवासियों के लिये चिंता का विषय है |और अंग्रेजी में ये -
Instances of violence in Kishtwar region of Jammu & Kashmir is a matter of serious national concern. Peace should prevail there.


संत की चिंता लाजमी है...आखिर उनका सपना जो है ...जहां वो बैठेगें...वहां बैठने के बाद उन्हें भी तो इसे डील करना होगा...मजबूती के साथ...पर वो मजबूती कितनी होगी ...ये देखने वाली बात होगी....पर , कुर्सी इंसान को क्या से क्या बनने पर मजबूर कर देती है....ये बात इस संत से सीख लेने की आवश्यकता है.....क्यों....वैसे तो बहुत से रोल माडल है पर ये रोल माडल ....भाई जबरदस्त है......
गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी चुनाव समिति के प्रमुख नरेंद्र मोदी आज हैदराबाद के हैदराबाद के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में से चुनाव अभियान की शुरूआत करने के लिए हैदराबाद की धरती पर पदार्पण हो चुके हैं। नवभारत युवाभेरी के बैनर तले होने वाली इस रैली में करीब 1 लाख लोगों के हिस्सा लेने का दावा किया जा रहा है। रैली की यू एस पी है कि इसमें हिस्सा लेने वालों ने 5 रुपए का टिकट खरीदा है। मोदी की कीमत है....5रु या प्रचार करवाने के लिए कीमत घटा दी गयी....पर एक बात है...बूंद -बूंद से घड़ा भरता है....फंड बढिया जुट सकता है..नरेंद्र मोदी की ये रैली इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि आयोजकों ने उत्तराखंड बाढ़ पीड़ितों की सहायता के नाम पर इसके लिए 5 रुपए का टिकट रखा है...पर....साउथ में मोदी की पहचान कैसी और कितनी है...इसका नजारा कुछ दिन पहले ही कर्नाटक में देखा जा चुका है.....भगवा रंग में रंग चुके इस मैदान से आज बीजेपी की तरफ से पीएम पद के संभावित उम्मीदवार नरेंद्र मोदी अपने 'मिशन दिल्ली' की शुरूआत करेंगे। इस रैली के जरिए मोदी देश के नौजवानों को संबोधित करेंगे, नौजवानों को जोड़ने के मकसद से ही इस रैली को नवभारत युवाभेरी का नाम दिया गया है। माना जा रहा है कि इस रैली के जरिए मोदी तेलंगाना से लेकर देश की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधेंगे....तो क्या भाई लोग छोड़ेंगे.....वैसे मोदी की चतुराई बोलने तक ही तो सीमीत लगती है....कितनी मेहनत करते हैं इतना पानी पीते हैं कि....सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 946 गांव तकरीबन सूखे की चपेट में आ गये थे.....
पर सर संत कहेंगें क्या.....हमने गुजरात को क्या से क्या बना दिया.....हैदराबाद का भौगोलिक परिचय और कच्छ का -गुजरात का भौगोलिक भिन्नतायें काफी हद तक भिन्न हैं.....पार्टियों की भी भौगोलिक और मानसिक दशा में भी भिन्नता है........30 हजार की क्षमता वाले स्टेडियम में पार्टी के दावे के मुताबिक 1 लाख से ऊपर लोग मोदी को सुनेंगें......tv screens लगाये गये हैं.......तैकि बात पूरी पहुंचे.....देखें बात कितनी दूर तलक पहुंचेगी.......  


Thursday 8 August 2013

South Block -BE- aware of Pak's "K" Plan



 देश की राह कितनी कठिन....क्या हम फिर से गुलाम बनने वाले हैं ....??अपने छोटे भाई के ....??जी हां लगता तो ऐसा ही है....जिस तरीके से देश के राजनीती की दशा और दिशा बदल रही है..आज .उससे अंदाजा तो यही लगता है.....नेता, एम एल ए, सांसद सभी बिके हुए हैं....देश देश की राजनीती की तरह नहीं चल रहा बल्कि बाहरी ताकतों के दबाव में या कहा जाय कि उनके ईशारों पर चल रहा है....नेता कठपुतली हो गये हैं.....अब देश क्या समझे हमारे शांत रहने वाले पी एम मनमोहन सिंह जी शातिर नवाज के सामने मुंह खोल पायेंगें....और अगर खोलें भी तो क्या देश की सुरक्षा चाक- चौबंद कर पायेंगें.....??? सितम्बर में न्यूयार्क में होने वाली मीटीग कितनी कारगर हो पायेगी.....देश की समझ से बाहर की बात है....

वार्ता पर वार्ता, राउंड टेबल मीटिंग पर कितनी कारगर होती हैं ये मीटिंग....नवाज शरीफ तीसरी बार पाक की गद्दी पर विराजमान हुए हैं.....जाहिर सी बात है मुशर्रफ को हटाना इतना आसान न था....तो सोचने वाली बात ये है कि वो कौन सी ताकतें हैं....जिनके दम पर शरीफ दम भर रहे हैं.....

5 जवान शहीद हुए LoC  पर.....मंत्री भीम सिंह ने क्या कहा....सेना की नौकरी होती ही है शहीद होने के लिए...आप थोड़े ना शहीद होगें....----बिल्कुल जवान शपथ लेता है....डाक्टर शपथ लेता है...वकील, जज शपथ लेता है....मंत्री प्रधानमंत्री सभी तो शपथ लेते हैं.....पर क्या सभी अपने शपथ की कदर कर पातेहैं....यैद रहती है उन्हें अपने शपथ की ओज़.....फिर क्यूं अकेला सैनिक पिसे....जबरदस्ती....की शहादत...वो क्या मरने की कसम खा कर पैदा हुआ था...जो उसके मरने पर उसके परिवार और देशवालों को जवाब मांगने का अधिकार ही नहीं रहा...क्योंकि भाई वो तो शहादत की पट्टी बांधकर पैदा हुआ था.......?? 

शंभुनाथ शरन, विजय हों या सौरभ कालिया क्यूं दे ये शहादत....इनकी जान क्या अनमोल नहीं....चीन ने LoC का उल्लंघन किया ....वार्ता हुई खुर्शीद साहब को लगा...अरे!!! ये क्या हो गया....गया मेरा ट्रीप.....चलो ट्रीप भी कर के आ गये....पर क्या मसला गल हुआ...क्या भारतवासी चैन से अब सो सकेंगें...निश्चिंतता की सांस ले सकेंगें कि अब सचमुच हिन्दी चीनी भाई- भाई हो गये....और शरीफ साहब से सितम्बर में गुफ्तगु कहीं 1999 की तरह आने वाले तूफान की सुगबुगाहट तो नहीं......

Patience of the Indian people are running out now......


भारतीय मीडिया चीख चीख कर कह रही है ....जनता चीख रही है...पर सरकार और विपक्ष अपनी -अपनी खींचतान में व्यस्त रहती है.....और जनता का भद्दा मनोरंजन करने का प्रयास करती है....उन्हें तो लाफ्टर कल्ब के प्रोग्राम में पार्टीसीपेट करना चाहिए..........


Sarvamangala Mishra

9717827056

Wednesday 7 August 2013




LOC खतरनाक नहीं अब खूनी हो गयी...

वाद विवाद, प्रतिवाद...पर क्या होगी ये गुस्ताखी माफ...?? एक बार नहीं कई बार किया माफ ...पर सुधरा नहीं देश- विदेश....06 अगस्त 2013 पूंछ का इलाका सरला पोस्ट पर सीमा उस पार से फिर हुआ हमला....रात में सन्नाटे में....खौफ के साये में...क्योंकि कायर रात में ही हमला कर पाते हैं...दिन के उजाले में नहीं.....5 जवानों को शहीद कर डाला.....अपने नापाक मनसूबों में एक बार फिर फतह हासिल कर डाली....हम बहस में मशरुफ हैं...पूरा देश शोक में डूब गया....शहीद के परिवार ने शहीद होने की रकम को लात मारी....जिसके बाद उन्हें भी पता है.....कि उनका जीने का सहारा अब इस दुनिया में नहीं है.....सरकार से मांग की परिवारों ने कि ईंट का जवाब पत्थर से दें....उन्हें इंसाफ चाहिए....ज्यादा दिन नहीं बीता एक मां अपने बेटेका सिर सरकार से मांगती रही....पर सरकार, सर झुकाये खड़ी रही....कुछ न कर सकी....कर सकी तो दो पुराने मुजरिमों को फांसी दी.....खैर...पर सवाल उठता है ये शहादत कब तक....???

कब तक ये परिवार अपने अपनों को खोते रहेंगे.....कब तक उनके बच्चे अनाथ होते रहेंगे....और देश के नेता अफसोस जताकर, दुखद घटना बताकर एसी रुम में जाकर अपनी अगली रणनीती बनाने में लग जाते हैं...फेशियल एक्सप्रेशन यही कहता है - ठीक है यार ....5 जवान ही तो मरे हैं.....देशभक्त बना दो....इनाम और मरमोपरांत तमगा और शाल दे देगें......क्यों शाल और वीरता पुरस्कार से क्या उस सान की कमी पूरी कर सकती है सरकार....??? 

जीवन का इस तरह तहस नहस होना क्या यूंही चलता रहेगा....क्या देश की सेवा करने का जज्बा खत्म हो जायेगा....क्योंकि इन शहादतों को ना तो सरकार याद करती है ना सबक लेती है....तो बेवजह क्यों ये जवान अपनी कुर्बानी देते रहेंगें.....संसद में हंगामा, विरोधी पार्टियों का सदन में एक एक वाक्य का अर्थ निकालना...पर क्या....अपने समय में वही नेतागण खुद जवाब दे पाते हैं....क्या उन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो पाता है.....विरोधी पक्ष विरोध करता है और पक्ष अपने बचाव में जुटी रहती है......न्यूज चैनल पर पब्लिक दोनों पक्षों का वाद विवाद का आनन्द उठाती है....इंटलेक्चुअल बातें करती हैं.....अंदाज शेरो शायरी में बह जाती है...मुद्दा वहीं का वहीं रह जाता है.....फिर एक हमला होता है...वार्ता चलती रहती है.....जवान शहीद होते रहते हैं.....क्यों ऐसा होता है.....

हमला कैसे हुआ....किसने वर्दी हमारी पहनी...या धोखे से हमला किया....मसला है हमला हुआ....5 जवान शहीद हुए....और ध्यान देने की बात ये है कि शरीफ जी शराफत कब सीखेंगे.....कब बड़े होगें...सितम्बर में मनमोहन सिंह जी की वार्ता होनी है....पर हर बार....शरीफ जी शरीफाई से धोखा देने में चूकते नहीं है.....चाहे आगरा वार्ता हो या याद कर लें आप खुद भी.....कभी भी शरीफ और इंसानियत के दायरे में कभी दोस्ती की नजर और जबान पर यदि वो कायम रहे हों.......

---सर्वमंगला मिश्रा
9717827056


Tuesday 11 June 2013


आडवाणी प्रमोटेड हो गये.....???




आडवाणी –जो अडिग न रह सका अपनी वाणी पर वो हैं आडवाणी.....कहते हैं जब अखाड़े का जमा खिलाड़ी खुद को हारते हुए देखता है तो बौखलाहट में पुराने शेर की तरह अपनी हर ताकत झोंक देता है....जीत पाने के लिए.....भई नाटक हो तो ऐसा हो......ऐसा ही कल दोपहर 1बजकर 40 मिनट पर जब खबर आयी कि आडवाणी जी ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया...न्यूज रुम में जैसे भूचाल सा आ गया....हर किसी को विश्वास सा नहीं हो पा रहा था....पर जिन हाथों ने नींव से लेकर कंगूरा बनाने और बनने के लिए मेहनत की हो तो उसे उस इमारत की हर वायर का पता होता है...कि कौन सी लाइन किस घर से होकर गुजरी है....और किस दीवार को तोड़ने से किस कमरे की लाइट गुल हो सकती है...या यूं कहा जाय कि घर के जवान बच्चे जब बुजुर्गों को तकलीफ की राह पर चलने को मजबूर करते हैं तब- पर अपनी उम्र के मित्र ही बुढापे में सही सलाह भी देते हैं....वैसा ही कुछ भाजपा के वरिष्ठ नेता ने भी किया....घर के बच्चों को सही राह पर लाने के लिए और अपनी बादशाही-हूकूमत में नये रंग भरने की कोशिश कितनी कामयाब रही या बेबुनियाद....
आडवाणी ने अटल जी के साथ मिलकर कमल को अपने बच्चे जैसा सींचा.....जिसको सींचते सींचते माली ने एक खूबसूरत कल्पना कर डाली.....जी हां खूबसूरत कल्पना....सपने को पाने के लिए हर कीमत चुकायी...पर सपना अपना नहीं होता....ऐसा कहते हैं....पर सपना को सच होते देखना एक बहुत ही सुखद अकाल्पनिक, अद्भुत अनुभूति का एहसास दिलाता है.....1980 में जब भाजपा का गठन हुआ तब कांग्रेस का ही आदिकाल से प्रभुत्व बना हुआ था....इंदिरा गांधी जिसने एमरजेंसी लगाकर सन् 1975 में अपनी तानाशाही का परिचय और अपनी शक्ति का प्रदर्शन खुले आम किया था....उस समय आडवाणी जी भी जेल गये थे....कुछ साल पहले एक टेलिविजन चैनल ने उन यादों को आडवाणी जी के साथ ताजा किया था.....उन यादों को यादकर आडवाणी जी भी अपनी भावनाओं पर संयम बरतते हुए- अपने उन दिनों के बारे में बताये......खैर, मंच पर मीडिया के समक्ष खुले शब्दों में या डिप्लोमैटिक भाषा में पार्टी का मेक अप आडवाणी जी ने बखूबी किया....उस पर कोई आंच न आये इसलिए खुद धूप में खड़े रहकर भी उसे छांव दी....क्योंकि यही कमल जो सूर्य की रौशनी में खिल जाता है....उसी रौशनी का इंतजार आजतक आडवाणी जी भी करते रहे....पर कभी बदली तो कभी बेमौसम बरसात ने उन्हें हर बार निराश कर दिया.....
सालों बाद जब 1996 में अटल जी की 13 टांगों वाली सरकार बनी थी जो फेविकोल के मजबूत जोड़ न लगने से टूट गयी......उस समय संसद में वरिष्ठ नेत्री और अल्प काल के लिए दिल्ली की सी एम रह चुकी सुषमा स्वराज ने कहा था- आज पक्ष बिखरा है और विपक्ष एक जुट है.....इस पर सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो गये....पर, समय एक जैसा नहीं रहता....आज उसी बीजेपी में इतने कांच के शीशे लग गये हैं कि सभी दुर्योधन की तरह सामने पानी को देख नहीं पा रहे हैं...जिससे टकराव की स्थिति पनपती जा रही है....सेंट गोबेन के कांच ऐसे लगे हैं कि सभी कन्फ्यूजड हैं अपने आप से टकरा रहे हैं.....इसके बाद 1998 में पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा आयी तब अटल जी को पद समर्पित करना पड़ा था.....क्योंकि उनसे बेहतर और सुलझा इंसान खोज पाना जनता के लिए कठिन था.....उस समय याद होगा आडवाणी जी और अटल जी में कुछ आंतरिक तनाव और कलह का वातावरण
तैयार हो गया था....जैसे बंगाल के ज्योति बाबू और बुद्धदेव भट्टाचार्या के बीच हुआ था......तब अटल जी ने आडवाणी जी को उप प्रधानमंत्री का पद देकर शांत किया था......पर वो कहानी वहीं खत्म हो गयी...क्योंकि आडवाणी जी को उम्मीद थी कि बीजेपी दोबारा अपना परचम लहरायेगी...पर ऐसा हो न सका....क्योंकि 2004 23 अप्रैल को सोनिया ने पद छोड़कर जो गौरव हासिल किया वो सबके वश की बात नहीं थी......उसी नक्शे कदम पर आडवाणी जी ने किसी और के कहने पर ये नाटक रचा.....जिसमें मैं समझती हूं रंग विहीन कलाकारी रह गयी है....क्योंकि बैल्क न व्हाइट में चित्रकार की असल पहचान होती है......तो इस वरिष्ठ कलाकार को आप कितने नम्बर देना चाहेंगे......





Sarvamangala Mishra
9717827056







Friday 24 May 2013



आई पी एल खेल या अंदरुनी धक्कामुक्की....??

आई पी एल में चल रही धांधली का खुलासा जब दिल्ली पुलिस ने किया तो जैसे सबके मुंह हक्के बक्के से रह गये.....सबसे पहले नाम आया श्रीसंत, चंडीला और चवन का....लोगों की आंखें ये नहीं देख रही थीं कि अरे !! ये क्या हो गया बल्कि इस बार कैसे और कितना बड़ा घोटाला करने में हमारे वीर सपूत और उनके मार्गदर्शकों ने शतरंज की चाल को भी कितनी बड़ी मात दी और किस शातिराना अंदाज में.....
जी हां, इस बार आई पी एल का असली रंग सामने आया वरना लोग शायद फिक्सिंग की हरकत को नजरन्दाज कर रहे थे....शिटोरियों का इतिहास भी पुराना है....जब साउथ अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिये, अजय जाड़ेजा, मों अजहरुद्दीन और 1983 में भारत को विश्व कप जीताने वाले –(एक मात्र 2011 के पहले तक )कपिल देव का नाम भी मैच फिक्सिंग में उछला था....उससे पहले से शिटोरियों का जन्म हो चुका था...कभी पुराने मैचों की क्लिपिंग जिसे मिल जाय वो देख सकेंगें कि रन न बने तो, कोई आउट हो तो कुछ लोगों का इक्सप्रेशन देखते ही बनता था....साथ ही दिमाग में एक और बात भी उमड़ रही है कि दांव लगाना तो परंपरागत है.....महाभारत के समय से....लोगों का फेवरेट एपिसोड़ द्रौपदी का चीरहरण...ये किसका जाम था....खेल में दांव लगाने का.....नवाब लोग आज के जमाने के हिसाब से कहुं तो मध्यकाल से ही इन सब चीजों का शौक रखते थे....घोड़ों की रेस हो, बफेलो फाइट हो या इंसान को लहूलहान कर देने वाला खेल....पर इतनी पुरानी बातों को छोड़िये....डब्लू डब्लू एफ में जो धमाधम फिक्सिंग की बौछार चलती है....उसका क्या कहना.....तो आई सी सी के मैच से लेकर आई पी एल तक हर जगह फिक्सिंग ही चलती है....तो इस बार इस बात पर इतना बवाल क्यों भाई....???
विंदु दारा सिंह, अजय गर्ग, सीएसके गुरु मईयप्पन..और पाक के अम्पायर भाई साहब राउफ जी...ये तो शुरुआत है..पर इस इंटरनेट का जाल किस किस को फांसेगा कहना बहुत मुश्किल नहीं है और बहुत मुश्किल भी....कई ट्रकी मैच जीतने पर महेन्द्र सिंह पर मेरी आंखें टिकी सी रह गयी थीं....मतलब हाउ इट कूड बी पासिबल....? जब सी एस के और आर सी बी का मैच चल रहा था और अंतिम ओवर में आर पी सिंह ने जो किया वो किसी की समझ ही नहीं आया यहां तक कि उनके कैप्टन विराट कोहली साहब भी कन्फ्यूज होकर जीत का जश्न मनना शुरु कर ही रहे थे तब तक सहयोगी ने इशारों में बताया कि हम हार चुके हैं मैच...और महेन्द्र सिंह जीत का जश्न बल्ले से गेंद को मारकर रन पूरा करते मना रहे थे....इस मैच के पूरा होते ही सभी ठगा सा महसूस कर रहे थे....और स्टूडियो में बैठे सुनील गवास्कर साहब ने कहा कि विराट कोहली बहुत अच्छे कप्तान हैं कि इस एक बाल से हारने के बाद भी वो उनकी तारीफ किये...पर मैं होता तो ड्रेसिंग रुम में.......और क्रिस गेल के 17 छक्के ....?? या वल्ड कप के कप्तान धोनी जी....का आलमोस्ट हर मैच जीत जाना....कुछ संदेहात्मक था.....खैर अब तो मामला खुलकर आलमोस्ट आ चुका है कि धोनी भी किसी के इशारों पर चलते थे और हैं भी.... चंडिला ने तो कबूल कर ही लिया है कि सीजन 5 के मैचेस भी फिक्सिंग की बलि चढे थे....- “सचिन तेंदुलकर का एक फेमस कोट मुझे याद आ रहा है...कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है....ये बिल्कुल सही भी है और गलत भी.....वो यूं कि चंडिला जैसे इंगित करना बूल गये पर 14 रन दे दिये और बूकिज को पैसे भी वापस करने पड़े....बूकिज और क्रिकेटर्स के बीच फिक्सिंग हो जाती है तो अनिश्चितता कहां रह जाती है....
आज इस आर्टिकल के द्वारा ये कहना चाह रही हूं कि फिक्सिंग तो शुरु से होती रही है....तो क्या ये दलगत विभिन्नताओं के कारण हुआ....क्या ललित मोदी जो लंदन में कारावास झेल रहे हैं उन्होनें श्रीनिवासन को दलदल में फंसाया या फंसते हुए देखना चाहते थे...क्या शरद पवार अपनी कुर्सी बी सी सी आई की राजीव शुक्ला से छीन लेना चाहते हैं या दिल्ली पुलिस के कमिश्नर साहब जो अभी कुछ दिनों में रिटायर होने वाले हैं खुद को तमगा और बाकी नाकामियों को छुपाने के लिए इसका पर्दाफाश किये.....या दिल्ली सरकार के इशारों पर चलने वाली पुलिस ने कांग्रेस की झोली में एक और शील डाल दिया है......

सर्वमंगला मिश्रा
9717827056




आई पी एल का बवाल या अन्दरुनी हंगामा....??





 
आई पी एल में चल रही धांधली का खुलासा जब दिल्ली पुलिस ने किया तो जैसे सबके मुंह हक्के बक्के से रह गये.....सबसे पहले नाम आया श्रीसंत, चंडीला और चवन का....लोगों की आंखें ये नहीं देख रही थीं कि अरे !! ये क्या हो गया बल्कि इस बार कैसे और कितना बड़ा घोटाला करने में हमारे वीर सपूत और उनके मार्गदर्शकों ने शतरंज की चाल को भी कितनी बड़ी मात दी और किस शातिराना अंदाज में.....
जी हां, इस बार आई पी एल का असली रंग सामने आया वरना लोग शायद फिक्सिंग की हरकत को नजरन्दाज कर रहे थे....शिटोरियों का इतिहास भी पुराना है....जब साउथ अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिये, अजय जाड़ेजा, मों अजहरुद्दीन और 1983 में भारत को विश्व कप जीताने वाले –(एक मात्र 2011 के पहले तक )कपिल देव का शामिल भी नाम उछला था....उससे पहले से शिटोरियों का जन्म हो चुका था...तभी पुराने मैचों की क्लिपिंग जिसे मिल जाय वो देख सकेंगें कि रन न बने तो, कोई आउट हो तो कुछ लोगों का इक्सप्रेशन देखते ही बनता था....साथ ही दिमाग में एक और बात भी उमड़ रही है कि दांव लगाना तो परंपरागत है.....महाभारत के समय से....लोगों का फेवरेट एपिसोड़ द्रौपदी का चीरहरण...ये किसका जाम था....खेल में दांव लगाने का.....नवाब लोग आज के जमाने के हिसाब से कहुं तो मध्यकाल से ही इन सब चीजों का शौक रखते थे....घोड़ों की रेस हो, बफेलो फाइट हो या इंसान को लहूलहान कर देने वाला खेल....पर इतनी पुरानी बातों को छोड़िये....डब्लू डब्लू एफ में जो धमाधम फिक्सिंग की बौछार चलती है....उसका क्या कहना.....तो आई सी सी के मैच से लेकर आई पी एल तक हर जगह फिक्सिंग ही चलती है....तो इस बार इस बात पर इतना बवाल क्यों भाई....???
विंदू दारा सिंह, अजय गर्ग, सीएसके गुरु मईयप्पन...ये तो शुरुआत है..पर इस इंटरनेट का जाल किस किस को फांसेगा कहना बहुत मुश्किल नहीं है और बहुत मुश्किल भी....कई ट्रकी मैच जीतने पर महेन्द्र सिंह पर मेरी आंखें टिकी सी रह गयी थीं....मतलब हाउ इट कूड बी पासिबल....? जब सी एस के और आर सी बी का मैच चल रहा था और अंतिम ओवर में आर पी सिंह ने जो किया वो किसी की समझ ही नहीं आया यहां तक कि उनके कैप्टन विराट कोहली साहब भी कन्फ्यूज होकर जीत का जश्न मनना शुरु कर ही रहे थे तब तक सहयोगी ने इशारों में बताया कि हम हार चुके हैं मैच...और महेन्द्र सिंह जीत का जश्न बल्ले से गेंद को मारकर रन पूरा करते मना रहे थे....इस मैच के पूरा होते ही सभी ठगा सा महसूस कर रहे थे....और स्टूडियो में बैठे सुनील गवास्कर साहब ने कहा कि विराट कोहली बहुत अच्छे कप्तान हैं कि इस एक बाल से हारने के बाद भी वो उनकी तारीफ किये...पर मैं होता तो ड्रेसिंग रुम में.......और क्रिस गेल के 17 छक्के ....?? या वल्ड कप के कप्तान धोनी जी....का आलमोस्ट हर मैच जीत जाना....कुछ संदेहात्मक था.....खैर अब तो मामला खुलकर आलमोस्ट आ चुका है कि धोनी भी किसी के इशारों पर चलते थे और हैं भी.... चंडिला ने तो कबूल कर ही लिया है कि सीजन 5 के मैचेस भी फिक्सिंग की बलि चढे थे....- “सचिन तेंदुलकर का एक फेमस कोट मुझे याद आ रहा है...कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है....ये बिल्कुल सही भी है और गलत भी.....वो यूं कि चंडिला जैसे इंगित करना बूल गये पर 14 रन दे दिये और बूकिज को पैसे भी वापस करने पड़े....बूकिज और क्रिकेटर्स के बीच फिक्सिंग हो जाती है तो अनिश्चितता कहां रह जाती है....
आज इस आर्टिकल के द्वारा ये कहना चाह रही हूं कि फिक्सिंग तो शुरु से होती रही है....तो क्या ये दलगत विभिन्नताओं के कारण हुआ....क्या ललित मोदी जो लंदन में कारावास झेल रहे हैं उन्होनें श्रीनिवासन को दलदल में फंसाया या फंसते हुए देखना चाहते थे...क्या शरद पवार अपनी कुर्सी बी सी सीआई की राजीव शुक्ला से छीन लेना चाहते हैं या दिल्ली पुलिस के कमिश्नर साहब जो अभी कुछ दिनों में रिटायर होने वाले हैं खुद को तमगा और बाकी नाकामियों को छुपाने के लिए इसका पर्दाफाश किये.....या दिल्ली सरकार के इशारों पर चलने वाली पुलिस ने कांग्रेस की झोली में एक और शील जाल दिया है......

सर्वमंगला मिश्रा
9717827056


  मिस्टिरियस मुम्बई  में-  सुशांत का अशांत रहस्य सर्वमंगला मिश्रा मुम्बई महानगरी मायानगरी, जहां चीजें हवा की परत की तरह बदलती हैं। सुशां...