09 मार्च 2013
लालू कितने लाल और नीतीश कितने दमदार.....?
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बिहार की तारीफ क्या कर दी ....नातीश जी
के गाल और और आंखें ऐसी चमकी मानो हेमामालिनी के गाल का एहसास नीतीश जी ने कर लिया
हो.......बयानबाजी का दौर ऐसा चल रहा है कि नीतीश और लालू कामकाज भूलकर एक दूसरे
के प्यार में अंधे हो गये हों.......नीतीश दिलजले कहकर अपने विरोधी प्रेमी पर
निशाना साध रहे हैं तो लालू यादव अपने मजाकिया और लोकप्रिय अंदाज में खामियां गिनानें
से नहीं चूक रहे.....पर लालू यादव जी कहीं न कहीं ये भूल रहे हैं कि उनके शासनकाल
में क्या हो चुका है....जनता ने क्या -क्या नहीं झेला......लालू अगर नीतीश को ताना
मारते हैं कि इनके राज्य में तो पुरुषों को भी बच्चादानी होता है जिसका आपरेशन
अस्पतालों में जमकर हुआ फलस्वरुप गर्भाशय घोटाला सामने आया......पर लालू जी आपके
राज्य में क्या हुआ था....चारा घोटाला हो चाहे चरवाहा स्कूल कांड......लगता है
लालू जी अपनी बातें भूल गये हैं या नीतीश की गल्तियों को उजागर कर अपनी गल्तियों
पर पर्दा डाल रहे हैं.......
नीतीश का दावा है कि लोग आयेंगे बिहार को देखने जैसे बिहार की नई नई
शादी हुई हो और लोग पर्यटक लोग मुंह देखाई के लिए बिहार आयेंगें और बिहार की झोली
खचाखच भर जायेगी........तो उधर लखेदने को तैयार लालू बस आव देखते हैं न ताव बस
नीतीश को भगाओ.......मुझे बुलाओ......का नारा गुंजायमान कर रहे हैं....बात कें अगर
विकास की तो लालू के राज्य में लोगों को पाइप से नहलाया गया तो नीतीश
ने लोगों को थोड़ी जीने की रौशनी जरुर दी है........क्राइम का ग्राफ कितना कमजोर
पड़ा है इसपर कुछ कहूंगी तो अन्याय होगा......क्योंकि दिल्ली के सबसे बड़े मामले
में बिहार का नाम उछला.....पर क्राइम रेट बढने के जिम्मेदार नीतीश जी है मैं ऐसा
भी नहीं कहूंगी.......क्योंकि देश में केन्द्र सरकार अगर कड़ा कानून लागू की होती
और राज्य सरकारें को लिए भी अनिवार्य होता तो शायद देश की स्थिति कुछ और
होती.......
खैर, लालू जी दम्भ और हुंकार तो भर रहे हैं...परिवर्तन रैली भी कर
रहे हैं पर क्या उन्होनें सचमुच अपने गिरेबां में झांककर कभी देखा है.......क्या
सचमुच नीतीश की सरकार को हटाकर वो बिहार की जनता के लिए कुछ करना चाहते हैं या
अपनी खाली होती झोली को देखकर चिंता हो गयी अपने आने वाली पुस्तों के लिए.......कहने
का मतलब कहने की आवश्यकता लगती तो नहीं है......वैसे लालू जी ने अपने कार्यकाल में
जमकर बिहार की जनता को मूर्ख बनाया.......पर नीतीश जी अधिकार रैली के जरिये अपने
और बिहार दोनों के हक की बात कर रहे हैं.....
अब जनता क्या फैसला लेगी.....वो तो कहा नहीं जा सकता क्योंकि बिहार
के लिए एक कहावत आज भी लागू होती है....जिसकी लाठी उसकी भैंस.......तो चुनाव के
दौरान कौन सा बिगुल बजेगा युद्ध या शांति का...चलिये नीतीश जी के गाल आजकल जितने
चमक रहे हैं उम्मीद करतना चाहूंगी कि उतना ही बिहार भी चमके ....ताकि देश का एक
महान राज्य अपनी खोई गरिमा को प्राप्त कर सके......यही शुभकामना है......हां जानती
हूं आपकी शुभकामना भी है.....वैसे मैंने आपकी ओर से ही तो कहा है...........
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