पाकिस्तान
का नया हुक्मरान- इमरान खान
सर्वमंगला
मिश्रा
पाकिस्तान
का नया हुक्मरान- इमरान खान, का नाम पाकिस्तान के इतिहास में दर्ज हो चुका है। इमरान
खान किसी पहचान के मोहताज़ नहीं है। विश्व में उनकी अपनी एक पहचान है उनके कदरदान
भी हैं। क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने इमरान खान ऐसे समय में अपने देश की बागडोर
संभालने के लिए तैयार हैं जब विश्व में पाकिस्तान की स्थिति बेहद चिंतनीय है।
विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित कर
चुका है। यूनाइटेड नेशन में पाकिस्तान का नाम आते ही आतंकवाद का चेहरा सभी देशों
के सामने घूमकर मानो परेशान कर देने वाला होता है। आतंकवाद, जिससे समूचा विश्व
परेशान है और इससे कहीं न कहीं जूझ रहा है।
“मैं बचपन से ही भारत से नफरत करता था क्योंकि
मैं लाहौर में बड़ा हुआ हूं और वहां 1947 में नरसंहार हुआ था,
जिसके चलते खून बहा और नफरत फैली। लेकिन जब मेरा भारत आना जाना हुआ,
मुझे वहां प्यार मिला, मेरे दोस्त बने। इससे
वो नफरत खत्म हो गई”- इमरान खान
2018 का
साल इमरान खान के जीवन में अपने मकसद में कामयाबी का जश्न मनाने वाला तो हो गया।
तहरीक ए इंसाफ ने 115 सीटों पर विजय हासिल की तो नवाज़ शरीफ पीएमएल-एन 64 सीटें,
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी पार्लियामेंटेरियन्स -43, एमक्यूएम –पी- 6, बलोचिस्तान
नैश्नल पार्टी- 3, एमएमए-पी-5, अवामी नैश्नल पार्टी-1 साथ ही स्वतंत्र -13 और अन्य
20 विजयी रहे। विश्व में पाकिस्तान की छवि कैसे और कबतक सुधरेगी इसकी गारंटी तो
शायद इमरान खान भी नहीं ले सकेंगे। इतिहास गवाह है कि 2014 में किस तरह इमरान खान
ने पाकिस्तान की हूकूमत को चैलेंज किया था और अपने लाखों समर्थकों के साथ घेराबंदी
की थी। एकबार तो लगा था कि अब इमरान खान पाकिस्तान का तख्ता पलटकर रख ही देंगे,
लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इमरान खान ही वो शक्स थे जिनके कारण चीन के राष्ट्रपति
जिनपिंग को अपना पाकिस्तान दौरा रद्द करना पड़ा था। जबसे क्रिकेट खिलाड़ी इमरान
खान राजनीति में कदम रखे तबसे पग-पग पर विरोधी पार्टियों के आक्रमक तेवर झेलने को
मजबूर होते रहे। इमरान खान द्वारा बनवाया गया अस्पताल तक विरोधियों ने नेस्तो
नाबूत कर दिया था। पर इमरान खान मजबूती के साथ डटे रहे और जिसका अंजाम यह हुआ कि
पाक की जनता ने सबसे बड़ी पार्टी बनाकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज़ कर दिया
है। यह वही इमरान खान है जिसने 1992 में इंगलैंड के खिलाफ मैच खेलकर पाकिस्तान का
नाम विश्व विजेता के तौर पर दर्ज करवाकर, अपने देश का नाम फक़्र से विश्व में ऊंचा
करवाया था। पर राजनीति में कदम रखते ही सबने इस खिलाड़ी को कोई तवज्जो नहीं दी थी।
पाकिस्तान
की यह बात अब जगजाहिर हो चुकी है कि पाकिस्तान आर्मी ही सर्वेसर्वा है। जिसको जब
चाहे सिंहासन पर काबिज़ कर दे और जब चाहे उसे पदच्यूत कर दे। ऐसे में पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री द्वारा लिए जाने वाले फैसले का, पाकिस्तान की जनता और विश्व के
नुमाइंदों पर क्या असर होगा यह सोच से थोड़ा परे है। पाकिस्तान के नये हुक्मरान
पाकिस्तान के लिए फैसले लेने में कितने स्वतंत्र रह पायेंगें यह देखने का विषय
होगा। नवाज शरीफ के कार्यकाल के दौरान किस तरह मुशर्रफ साहब प्रधानमंत्री की
कुर्सी पर काबिज़ हुए थे यह शायद ही कोई भूल सकेगा। जिसके बाद नवाज शरीफ को लंदन
में जीवन बीताना पड़ा और जब 2007 में वापस आने का प्रयास किया तो किस तरह चंद
मिनटों में बैरन रवाना भी होना पड़ गया। वैसे पाक का इतिहास भी उसी की तरह बेमिसाल
है।
2011 में एक अंग्रेजी न्यूज चैनल को अपने दिये
गये इंटरव्यू में कहा था कि वह भारत से नफरत के साथ बड़े हुए हैं। लेकिन वह गुजरते
वक्त के साथ भारत के साथ "अच्छे संबंध" चाहते हैं, ताकि दोनों देशों को फायदा हो- इमरान खान
प्रधानमंत्री
का ओहदा संभालने के पहले ही इमरान खान ने भारत को अपना संदेश सुना दिया- जिसमें
कश्मीर का मुद्दा अहम बताया गया और बातचीत करने का आमंत्रण भी दिया गया। ऐसे में
भारत, पाक से रिश्ता कितना सुधार पायेगा या यूं कहा जाय कि इमरान खान पाक आर्मी की
बोली ही बोलते रहेंगे क्योंकि आर्मी की सरपरस्ती में ही उन्हें पाक का हुक्मरान
बनने का सुनहरा मौका हासिल हुआ है। तो जाहिर सी बात है इमरान खान भी वही करेंगे
जिसमें आर्मी की मंजूरी होगी और पाक आर्मी को कश्मीर चाहिए। इस मुद्दे को पाक अपनी
अंतिम सांस तक नहीं छोड़ सकता। यह मुद्दा ही पाक की जनता के बीच बने रहने का
एकमात्र जरिया है अन्यथा राजनीति की दीवार धराशायी हो जायेगी और विश्व के समक्ष पाक
औंधें मुंह नजर आयेगा।
“इससे बड़ा झूठ कुछ और नहीं
हो सकता कि जम्मू-कश्मीर में अशांति के लिए पाकिस्तान उकसाता है. कश्मीर में
भारतीय सेना को 26 साल हो चुके हैं, वहां
के लोग परेशान हैं. मानव अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, लोगों
को कुर्बानियां देनी पड़ रहीं हैं”- इमरान
खान-(2016 में रायविंड में दिए
गया भाषण)
'पहले मैंने नवाज शरीफ को एक संदेश भेजा था, लेकिन कल
मैं मोदी को भी एक संदेश भेजूंगा। मैं नवाज शरीफ को बताऊंगा कि नरेंद्र मोदी को
कैसे जवाब दिया जाए?' - इमरान खान की यह टिप्पणी पाकिस्तान
के आम चुनावों में काफी चर्चा में रही। जिसका पाक के कट्टरपंथियों पर शायद बहुत
गहरा असर हुआ।
बतौर
क्रिकेटर इमरान खान ने भारत के बहुत दौरे किये हैं। भारतीय मीडिया के प्रिय भी रहे
हैं। भारतीय टेलीविजन पर चैट शो में शिरकत करने वाले सबदिल अज़ीज क्रिकेटर और नेता
रहे हैं। लेकिन अब भारत की जनता यह देखने को बड़ी बेताब है कि भारतीय खिलाड़ियों
के साथ खेलने वाले क्रिकेटर का दिल पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद कितना
और कैसा परिवर्तित हुआ है। क्या सुनील गावस्कर के साथ बिताये हुए लम्हें भारत के
प्रति नरम रुख अपनाने को बेताब करेंगे या राजनीति ही हावि रहेगी। उधर चीन द्वारा बनायी
जा रही सड़क पर इमरान खान का रवैया क्या होगा इससे चीन भी चिंता में डूबा हुआ
दिखता है। यदि इस निर्माणाधीन सड़क का निर्माण कार्य सम्पन्न करने की अनुमति इमरान
खान देते हैं तो भारत के लिए उनकी ओर से पहला विष का प्याला होगा। इसके विपरीत यदि
निर्माण कार्य रुकता है तो चीन से आने वाला धन भी रुक जायेगा। जिससे पाक को भारी
नुकसान होगा। ऐसा नुकसान पाकिस्तान शायद ही सहने के लिए तैयार हो क्योंकि अमेरिका
ने पहले ही चेतावनी दे दी है जिससे पाक की नींद हराम है। ऐसी परिस्थिति में पाकिस्तान
चीन का साथ छोड़ने की भूल शायद ही करे।
आज
पाकिस्तान का तख्तोताज कांटों से भरा हुआ है। विश्व के सामने पाकिस्तान की छवि सुधारने
के लिए इमरान खान कौन से कदम उठायेंगे यह तो पूरा विश्व ही देखेगा। आतंकवाद की
पनाहगार बना हुआ पाकिस्तान दहशतगर्दी की पनाह में ही जीवन का खैरमकदम करेगा या आने
वाले समय में इमरान खान की नुमांइदगी में उन्नति के चौक्के छक्के लगाएगा। अपनी
पहचान से देश का चेहरा बदलने और परिस्थितियों से जूझकर पाकिस्तान को उबारने का
सुनहरा मौका मिला है। अब इसे खान साहब बतौर प्रधानमंत्री किसतरह निखारेंगे यह तो
भविष्य ही बताएगा।
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