LOC खतरनाक नहीं अब खूनी हो गयी...
वाद विवाद, प्रतिवाद...पर क्या होगी ये गुस्ताखी माफ...?? एक बार नहीं कई बार किया माफ ...पर सुधरा नहीं
देश- विदेश....06 अगस्त 2013 पूंछ
का इलाका सरला पोस्ट पर सीमा उस पार से फिर हुआ हमला....रात में सन्नाटे
में....खौफ के साये में...क्योंकि कायर रात में ही हमला कर पाते हैं...दिन के
उजाले में नहीं.....5 जवानों को शहीद कर डाला.....अपने नापाक मनसूबों
में एक बार फिर फतह हासिल कर डाली....हम बहस में मशरुफ हैं...पूरा देश शोक में डूब
गया....शहीद के परिवार ने शहीद होने की रकम को लात मारी....जिसके बाद उन्हें भी
पता है.....कि उनका जीने का सहारा अब इस दुनिया में नहीं है.....सरकार से मांग की
परिवारों ने कि ईंट का जवाब पत्थर से दें....उन्हें इंसाफ चाहिए....ज्यादा दिन
नहीं बीता एक मां अपने बेटेका सिर सरकार से मांगती रही....पर सरकार, सर झुकाये खड़ी रही....कुछ न कर सकी....कर सकी तो
दो पुराने मुजरिमों को फांसी दी.....खैर...पर सवाल उठता है ये शहादत कब तक....???
कब तक ये परिवार
अपने अपनों को खोते रहेंगे.....कब तक उनके बच्चे अनाथ होते रहेंगे....और देश के
नेता अफसोस जताकर, दुखद घटना बताकर एसी रुम में जाकर अपनी अगली रणनीती बनाने में लग
जाते हैं...फेशियल एक्सप्रेशन यही कहता है - ठीक है यार ....5 जवान ही तो मरे
हैं.....देशभक्त बना दो....इनाम और मरमोपरांत तमगा और शाल दे देगें......क्यों शाल
और वीरता पुरस्कार से क्या उस सान की कमी पूरी कर सकती है सरकार....???
जीवन का इस तरह तहस
नहस होना क्या यूंही चलता रहेगा....क्या देश की सेवा करने का जज्बा खत्म हो
जायेगा....क्योंकि इन शहादतों को ना तो सरकार याद करती है ना सबक लेती है....तो
बेवजह क्यों ये जवान अपनी कुर्बानी देते रहेंगें.....संसद में हंगामा, विरोधी पार्टियों
का सदन में एक एक वाक्य का अर्थ निकालना...पर क्या....अपने समय में वही नेतागण खुद
जवाब दे पाते हैं....क्या उन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो पाता है.....विरोधी
पक्ष विरोध करता है और पक्ष अपने बचाव में जुटी रहती है......न्यूज चैनल पर पब्लिक
दोनों पक्षों का वाद विवाद का आनन्द उठाती है....इंटलेक्चुअल बातें करती
हैं.....अंदाज शेरो शायरी में बह जाती है...मुद्दा वहीं का वहीं रह जाता
है.....फिर एक हमला होता है...वार्ता चलती रहती है.....जवान शहीद होते रहते हैं.....क्यों
ऐसा होता है.....
हमला कैसे
हुआ....किसने वर्दी हमारी पहनी...या धोखे से हमला किया....मसला है हमला हुआ....5 जवान शहीद
हुए....और ध्यान देने की बात ये है कि शरीफ जी शराफत कब सीखेंगे.....कब बड़े
होगें...सितम्बर में मनमोहन सिंह जी की वार्ता होनी है....पर हर बार....शरीफ जी
शरीफाई से धोखा देने में चूकते नहीं है.....चाहे आगरा वार्ता हो या याद कर लें आप
खुद भी.....कभी भी शरीफ और इंसानियत के दायरे में कभी दोस्ती की नजर और जबान पर
यदि वो कायम रहे हों.......
---सर्वमंगला मिश्रा
9717827056
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