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Friday, 24 May 2013



आई पी एल का बवाल या अन्दरुनी हंगामा....??





 
आई पी एल में चल रही धांधली का खुलासा जब दिल्ली पुलिस ने किया तो जैसे सबके मुंह हक्के बक्के से रह गये.....सबसे पहले नाम आया श्रीसंत, चंडीला और चवन का....लोगों की आंखें ये नहीं देख रही थीं कि अरे !! ये क्या हो गया बल्कि इस बार कैसे और कितना बड़ा घोटाला करने में हमारे वीर सपूत और उनके मार्गदर्शकों ने शतरंज की चाल को भी कितनी बड़ी मात दी और किस शातिराना अंदाज में.....
जी हां, इस बार आई पी एल का असली रंग सामने आया वरना लोग शायद फिक्सिंग की हरकत को नजरन्दाज कर रहे थे....शिटोरियों का इतिहास भी पुराना है....जब साउथ अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिये, अजय जाड़ेजा, मों अजहरुद्दीन और 1983 में भारत को विश्व कप जीताने वाले –(एक मात्र 2011 के पहले तक )कपिल देव का शामिल भी नाम उछला था....उससे पहले से शिटोरियों का जन्म हो चुका था...तभी पुराने मैचों की क्लिपिंग जिसे मिल जाय वो देख सकेंगें कि रन न बने तो, कोई आउट हो तो कुछ लोगों का इक्सप्रेशन देखते ही बनता था....साथ ही दिमाग में एक और बात भी उमड़ रही है कि दांव लगाना तो परंपरागत है.....महाभारत के समय से....लोगों का फेवरेट एपिसोड़ द्रौपदी का चीरहरण...ये किसका जाम था....खेल में दांव लगाने का.....नवाब लोग आज के जमाने के हिसाब से कहुं तो मध्यकाल से ही इन सब चीजों का शौक रखते थे....घोड़ों की रेस हो, बफेलो फाइट हो या इंसान को लहूलहान कर देने वाला खेल....पर इतनी पुरानी बातों को छोड़िये....डब्लू डब्लू एफ में जो धमाधम फिक्सिंग की बौछार चलती है....उसका क्या कहना.....तो आई सी सी के मैच से लेकर आई पी एल तक हर जगह फिक्सिंग ही चलती है....तो इस बार इस बात पर इतना बवाल क्यों भाई....???
विंदू दारा सिंह, अजय गर्ग, सीएसके गुरु मईयप्पन...ये तो शुरुआत है..पर इस इंटरनेट का जाल किस किस को फांसेगा कहना बहुत मुश्किल नहीं है और बहुत मुश्किल भी....कई ट्रकी मैच जीतने पर महेन्द्र सिंह पर मेरी आंखें टिकी सी रह गयी थीं....मतलब हाउ इट कूड बी पासिबल....? जब सी एस के और आर सी बी का मैच चल रहा था और अंतिम ओवर में आर पी सिंह ने जो किया वो किसी की समझ ही नहीं आया यहां तक कि उनके कैप्टन विराट कोहली साहब भी कन्फ्यूज होकर जीत का जश्न मनना शुरु कर ही रहे थे तब तक सहयोगी ने इशारों में बताया कि हम हार चुके हैं मैच...और महेन्द्र सिंह जीत का जश्न बल्ले से गेंद को मारकर रन पूरा करते मना रहे थे....इस मैच के पूरा होते ही सभी ठगा सा महसूस कर रहे थे....और स्टूडियो में बैठे सुनील गवास्कर साहब ने कहा कि विराट कोहली बहुत अच्छे कप्तान हैं कि इस एक बाल से हारने के बाद भी वो उनकी तारीफ किये...पर मैं होता तो ड्रेसिंग रुम में.......और क्रिस गेल के 17 छक्के ....?? या वल्ड कप के कप्तान धोनी जी....का आलमोस्ट हर मैच जीत जाना....कुछ संदेहात्मक था.....खैर अब तो मामला खुलकर आलमोस्ट आ चुका है कि धोनी भी किसी के इशारों पर चलते थे और हैं भी.... चंडिला ने तो कबूल कर ही लिया है कि सीजन 5 के मैचेस भी फिक्सिंग की बलि चढे थे....- “सचिन तेंदुलकर का एक फेमस कोट मुझे याद आ रहा है...कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है....ये बिल्कुल सही भी है और गलत भी.....वो यूं कि चंडिला जैसे इंगित करना बूल गये पर 14 रन दे दिये और बूकिज को पैसे भी वापस करने पड़े....बूकिज और क्रिकेटर्स के बीच फिक्सिंग हो जाती है तो अनिश्चितता कहां रह जाती है....
आज इस आर्टिकल के द्वारा ये कहना चाह रही हूं कि फिक्सिंग तो शुरु से होती रही है....तो क्या ये दलगत विभिन्नताओं के कारण हुआ....क्या ललित मोदी जो लंदन में कारावास झेल रहे हैं उन्होनें श्रीनिवासन को दलदल में फंसाया या फंसते हुए देखना चाहते थे...क्या शरद पवार अपनी कुर्सी बी सी सीआई की राजीव शुक्ला से छीन लेना चाहते हैं या दिल्ली पुलिस के कमिश्नर साहब जो अभी कुछ दिनों में रिटायर होने वाले हैं खुद को तमगा और बाकी नाकामियों को छुपाने के लिए इसका पर्दाफाश किये.....या दिल्ली सरकार के इशारों पर चलने वाली पुलिस ने कांग्रेस की झोली में एक और शील जाल दिया है......

सर्वमंगला मिश्रा
9717827056


Wednesday, 22 May 2013



दिल्ली पुलिस कितनी पाक



आई पी एल- जी हां दर्शकों के लिए खेल और व्यापारियों के लिए उनका व्यापार....पर व्यापार में भी लोग चल रहे हैं शतरंज की चाल......हां यी है ये जेंटलमेंन गेम के बदले हुए स्वरुप का सच....ललित मोदी जो इसके जन्मदाता हैं एक तरह से...कारावास झेल रहे हैं लंदन में.....मुझे लगता हे लंदन को वनवास स्थान घोषित कर दिया जाय तो अनुपयुक्त नहीं होगा....क्योंकि किसी भी देश का व्यक्ति हो वनवास झेलने लंदन ही जाता है बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ, मुशर्रफ या अपने ललित मोदी जी....!!! खैर इस पर चर्चा किसी और आर्टिकल में करुंगी.......
कहानी कुछ यूं शुरु होती है दिल्ली पुलिस ने मई के इस तपते महीने को और गर्म बना दिया...ये खुलासा कर कि आई पी एल के मैचों में स्पाट-फिक्सिंग हो रही है.....जिसमें उभरते जबरदस्त सितारे श्रीसंथ, अजीत चण्डिला और चवन का नाम सामने आया....फिर क्या सबका ध्यान सबसे बड़े घोटाले पर टिक गयी.....दिल्ली पुलिस पर हर उठी उंगली मानो नीचे गिर गयी....क्योंकि 16 दिसम्बर के बाद और उसके बाद एक पर एक मुद्दे सामने आ रहे थे और दिल्ली पुलिस और शीला सरकार को जनता की नजरों में झुकाये चले जा रहे थे......दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार....जो अभी थोड़े ही दिनों में रिटायर होने वाले हैं......अपने ऊपर से सारे कलंक मानो धो लिये हों......
पर, सवाल उठता है कि पुलिस पहले इतनी सतर्क क्यों नहीं थी....क्यों नहीं आई पी एल 5, 4, 3,2 और 1 में हुए घोटालों से जनता और सरकार को अवगत कराया......क्या दिल्ली पुलिस ये सबकुछ जानते हुए भी अपने मुंह पर ताला लगाये बैठी थी....तो अब दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को किसकी हरी झंड़ी मिली जो उन्होंने ये खुलासे किये.....??? आखिर किसके कहने पर.......क्या इस पर नीरज जी कुछ बोल पायेंगें......शीला दीक्षित जी ने करप्श्न के इतने मामले सामने आने पर ये कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि दिल्ली पुलिस हमारे अंडर में नहीं आती.....तो किसके अंडर में आती है मैम...सवाल ये भी उठता है कि नीरज गुप्ता जी के पास और ऐसे कितने रिकार्डस या टेप उनहोंने टैप करवाये हैं पर खुलासा एक का भी नहीं किया.....क्या इस खुलासे को राजदार से जनतादार करने का मकसद अपने रिटायरमेंट के पहले छवि को सुधार लेना है......क्या सिर्फ इस एक अहम बड़े कुलासे के साथ सारी गल्तियां माफ.... मतलब सात खून माफ क्योंकि एक को बक्श दिया.....इसके पहले दिल्ली पुलिस ने कितने कांड़ों का खलासा किया है......तब क्या दिल्ली पुलिस सो रही थी......या इस एक उपल्ब्धि के बाद फिर सो जायेगी....क्योंकि हर घोटाले के बाद एक्यूज्ड बरी हो जाते हैं.....जाहिर सी बात है जब सर पर बड़े बड़ों का नाम हो तो रास्ते खुल जाते हैं....पर यहां तो खुद बड़े बड़े ही शामिल हैं तो मजबूर दिल्ली सरकार और बेबस जनता क्या कर लेगी......आप ही बताओ गलत कहा है तो......
सर्वमंगला मिश्रा
9717827056  





दिल्ली पुलिस कितनी पाक

 



आई पी एल- जी हां दर्शकों के लिए खेल और व्यापारियों के लिए उनका व्यापार....पर व्यापार में भी लोग चल रहे हैं शतरंज की चाल......हां यी है ये जेंटलमेंन गेम के बदले हुए स्वरुप का सच....ललित मोदी जो इसके जन्मदाता हैं एक तरह से...कारावास झेल रहे हैं लंदन में.....मुझे लगता हे लंदन को वनवास स्थान घोषित कर दिया जाय तो अनुपयुक्त नहीं होगा....क्योंकि किसी भी देश का व्यक्ति हो वनवास झेलने लंदन ही जाता है बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ, मुशर्रफ या अपने ललित मोदी जी....!!! खैर इस पर चर्चा किसी और आर्टिकल में करुंगी.......

कहानी कुछ यूं शुरु होती है दिल्ली पुलिस ने मई के इस तपते महीने को और गर्म बना दिया...ये खुलासा कर कि आई पी एल के मैचों में स्पाट-फिक्सिंग हो रही है.....जिसमें उभरते जबरदस्त सितारे श्रीसंथ, अजीत चण्डिला और चवन का नाम सामने आया....फिर क्या सबका ध्यान सबसे बड़े घोटाले पर टिक गयी.....दिल्ली पुलिस पर हर उठी उंगली मानो नीचे गिर गयी....क्योंकि 16 दिसम्बर के बाद और उसके बाद एक पर एक मुद्दे सामने आ रहे थे और दिल्ली पुलिस और शीला सरकार को जनता की नजरों में झुकाये चले जा रहे थे......दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार....जो अभी थोड़े ही दिनों में रिटायर होने वाले हैं......अपने ऊपर से सारे कलंक मानो धो लिये हों......

पर, सवाल उठता है कि पुलिस पहले इतनी सतर्क क्यों नहीं थी....क्यों नहीं आई पी एल 5, 4, 3,2 और 1 में हुए घोटालों से जनता और सरकार को अवगत कराया......क्या दिल्ली पुलिस ये सबकुछ जानते हुए भी अपने मुंह पर ताला लगाये बैठी थी....तो अब दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को किसकी हरी झंड़ी मिली जो उन्होंने ये खुलासे किये.....??? आखिर किसके कहने पर.......क्या इस पर नीरज जी कुछ बोल पायेंगें......शीला दीक्षित जी ने करप्श्न के इतने मामले सामने आने पर ये कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि दिल्ली पुलिस हमारे अंडर में नहीं आती.....तो किसके अंडर में आती है मैम...सवाल ये भी उठता है कि नीरज गुप्ता जी के पास और ऐसे कितने रिकार्डस या टेप उनहोंने टैप करवाये हैं पर खुलासा एक का भी नहीं किया.....क्या इस खुलासे को राजदार से जनतादार करने का मकसद अपने रिटायरमेंट के पहले छवि को सुधार लेना है......क्या सिर्फ इस एक अहम बड़े कुलासे के साथ सारी गल्तियां माफ.... मतलब सात खून माफ क्योंकि एक को बक्श दिया.....इसके पहले दिल्ली पुलिस ने कितने कांड़ों का खलासा किया है......तब क्या दिल्ली पुलिस सो रही थी......या इस एक उपल्ब्धि के बाद फिर सो जायेगी....क्योंकि हर घोटाले के बाद एक्यूज्ड बरी हो जाते हैं.....जाहिर सी बात है जब सर पर बड़े बड़ों का नाम हो तो रास्ते खुल जाते हैं....पर यहां तो खुद बड़े बड़े ही शामिल हैं तो मजबूर दिल्ली सरकार और बेबस जनता क्या कर लेगी......आप ही बताओ गलत कहा है तो......
                                                 
सर्वमंगला मिश्रा
9717827056  




Wednesday, 8 May 2013

ऐसा रवैया कब तक......





ऐसा रवैया कब तक......


रिश्तों की मजबूती कैसे हो ये कह पाना या समझ पाना बहुत मुश्किल काम है....अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में खासकर....इस मुद्दे पर लिखना चाह रही थी कि सफीकउल्ला की कहानी सामने आ गयी और मैं इस कहानी के परिणाम का इंतजार कर रही थी....जो हुआ वो टिट फार टैट है.... कहने की जरुरत नहीं कि सरबजीत सिंह या चमेल सिंह जैसे अनगिनत नाम जिनके लिए आज भी उन कैदियों का परिवार पलक पांवड़े बिछाये बैठा राह तक रहा होगा....कि उनका पिता, पति, पुत्र या भाई घर वापस आयेगा....पर वक्त का पहरा एक –एक पल करके खत्म हो जाता है....और इंसान का जीवन उसके साथ....पर तकदीर की लकीरों को कोई बदल नहीं सकता..., सच है....सरबजीत आज उसके परिवार के बीच नहीं रहा और ना ही पाकिस्तान की सलाखों के बीच....पर नाम आज उसका जिन्दा हो चुका है....जब वो जिन्दा था तब किसी को कदर ना हुई...और जब मर गया तो लोग उसे सिर्फ जानने पहचानने नहीं लगे बल्कि उसके लिए दर्द  भी पनपा....सरकार भी 25 लाख का मुआवजा तो स्टेट गवर्नमेंट ने 1 करोड़ के मुआवजे की राशि घोषित कर दी....बेटियों को सरकारी नौकरी.....
सवाल यहीं से उठता है कि हमारे देश के जितने बार्डर इलाकों में रहने वाले लोग जो जाने अंजाने बार्डर पार कर जाते हैं जिसकी सजा वो और उनका परिवार और देश मजबूर, असमर्थ या सामने देश की नीतियों या कूटनीतियों का शिकार बन जाता है.....मुफ्ति महबूबा जब अगवा हुई थीं 1990 के दशक में तब हमारी भारतीय सरकार ने उन्हें छुड़ाने के बदले में पाक कैदियों को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था....देश की जनता भला कैसे भूल सकती है....वहीं हमारी मांगों पर उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगती.....हमारे कुछ कैदी ही आज तक वापस आ पाये हैं...जबकि वो मछुआरे तो कुछ अपनी छोटी मोटी भूलों के चलते पहुंच गये पाक की सीमा में....पर ऐसे कितने सरबजीत और चमेल कुर्बान होंगे.....चमेल सिंह की मौत दफन दो गयी तो सरबजीत की दासतां ए मौत हो गयी.....
मीडिया पर जो विडियो प्रदर्शित हुआ उसे देखकर बहुत आसानी से समझा जा सकता है सरबजीत का वो इकबालिया बयान जबरन रिकार्ड करवाया गया था....जैसे कि वीर जारा में शाहरुख खान ने अपना जुर्म इकबालिया बयान के तौर पर कबुला था......कहने का तात्पर्य आप समझ ही गये होंगे.....पर दो देशों में इतनी कटुता सीमावर्तीदेश को हमसे और हमें उनसे इतना खतरा.....क्यों....सरबजीत की मौत से बौखलाये भारतीय कैदियों ने जम्मू कश्मीर की जेल में उसपर हमला बोल दिया.....फलस्वरुप कल देर रात उसकी चंजीगढ के अस्पताल में मौत हो गयी......मैं जानती थी क्योंकि प्रतिशोध की भावना जब किसी इंसान में पनपती है...तो एक चरम तक पहुंच जाती है....और जीवन का चरम तो बस एक ही होता है......मौत....जो आज सफीकउल्ला का हो गया.....गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का बयान आ चुका है हम सफीकउल्ला का शव पाक को सौंप देंगें.....
आपको याद होगा...जब सरबजीत कि ऐसी अवस्था पर भारत ने हूमैनटेरियन बैंकग्राउन्ड के आधार पर उसका इलाज कराने के लिए भारत भेंजने को कहा था तो पाक ने साफ इंकार कर दिया था....और तो और हमारे भारतीय ऊच्चायुक्त की मंडली को मिलने की मंजूरी भी खारिज़ कर दी थी.....और वही पाक सफीकउल्ला के लिए हूमैनटेरियन बैंकग्राउन्ड की दुहाई दे रहा था......क्या पाक ये भूल चुका था या शाट टर्म मेमरी लास की प्राबल्म है....कि उसके दहशतगर्द, खुंखार आतंकवादियों को देश में इतनी आवाज बुलंद होने के बावजूद सरकार ने या तो उसका पक्ष लिया या जैसे भी हो इतने दिन वो सभी महफूस रहा....पर हमारे भारतीय कैदी.....
खैर भावना के बहाव में बह गयी थी ....पर असल मुद्दा ये है कि सरबजीत जैंसे जितने भी कैदी पाक की जेलों में या और कहीं बंद हैं सरकार ने आजतक उनके परिवार वालों की सुध क्या ली है....उनके जीवन यापन या उनके लिए कोई प्लान एक्टिवेट किया....उनके लिए उनकी मूलभूत सुविधाओं के विषय में केंद्र या स्टेट सरकार क्यों नहीं कोई कदम उठाती है.....एक टी वी चैनल पर उडीसा की स्टोरी दिखाई गयी जिसमें एक मां ने बताया कि घर में 5 रुपये तक नहीं रहते.....वहीं सरकारें लोगों को एल्कोहल के जरिये राजस्व बढाती है...तो कुछ सरकारें जनता से कहती हैं कि सिगरेट ज्यादा लोग पीयें ताकि कर वसूली कर लोगों को उनके रुपये वापस किये जा सकें... .ऐसी सोच वाली तो सरकारें हो चुकी हैं .....तो क्या उन्हीं पैसों का एक चौथाई हिस्सा इन कैदियों के परिवार वालों में विभक्त नहीं किया जा सकता..........क्या होगा इस देश का............

सर्वमंगला मिश्रा.....
9717827056







Thursday, 4 April 2013


040413

2014 के रिंग में कौन तगड़ा...




सी आई आई के अधिवेशन में राहुल गांधी ने बोला पर क्या बोला इस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है....
भाजपा कहती है कि असमंजस में पड़े युवा लीडर हैं....और मोदी का डर उनमें साफ झलकता है...मोदी एक ऐसा नाम जो अपने आपमें नाम लेते ही विरोधियों में असमंजस की स्थिति और डर पैदा कर दे......देश के नागरिकों के लिए मोदी एक चहेते नेता, दमदार भाषण, उन्मुक्त गंगा की तरह साफ संत छवि वाले मोदी को चाहनेवोलों की आज कमी नहीं.....हाल ही में गठित हुई राजनाथ की 2014 वाली टीम में मोदी ने अपनी ताकत की धौंस जमाकर जनता का विश्वास एक बार फिर जीत लिया है.....लोगों को आज की तारीख में उनसे बेहतर और प्रबल दावेदार प्रधानमंत्री पद के लिए कोई नहीं...62 साल के मोदी गुजरात के 14वें मुख्यमंत्री हैं....और लोकसभा चुनाव 2014 में होने हैं...ऐसे में ऐसी दावेदारी चमत्कारी है.....तो राहुल बाबा 1970 में धरती पर अवतरित हुए थे....फासला हर चीज का पर कमी शायद उत्साह और सही मार्गदर्शन की है.....राहुल बाबा को.....पर ये कमी नहीं खलती मोदी में.....बुद्धिजीवी वर्ग मानता है कि मोदी सशक्त, प्रबल और मजे खिलाडी हैं राजनीति के....पर क्या मजी शतरंज की चाल जनता को लुभा पायेगी.....आज मोदी ने गांधीनगर से इतनी तेज बोली बोली कि पूरे देश में आवाज घर घर पहुंच गयी.....देश का कर्ज चुकाना चाहता हूं.....हां ये ऐसे शब्द हैं जो हर क्रांतिकारी और सपूत अपना फर्ज मानता है.....तो राहुल गांधी का डर लाजमी है....
उधर दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव का हाल कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना – जी हां पूरी सत्ता का मजा खुज ही लेना चाहते हैं मुलायम जी..
सुपुत्र राज्य को संभाल रहे हैं....तो पिताजी खुद पहले देश का पहला व्यक्ति बनने का सपना देख रहे थे तो अब देश का दूसरा व्यकित बनने का ख्वाब जग गया है.....एक बार आडवाणी जी की तारीफ करते हैं तो एक बार किसी और की.....वक्त अभी भी है और पता नहीं और बिजली के कितने झटके लगने वाले हैं..........
मैं कहना ये चाहती हूं कि क्या राहुल गांधी क्या मोदी सभी कहीं न कहीं एक सिक्के के दो पहलू हैं...सभी को सत्ता चाहिए....इसलिए मोदी जी ने इतने साल की रुठी पत्नी को मनाया या धमकाया पता नहीं ....माताजी को भी मुख्यमंत्री आवास में आकर रहने के लिए आग्रह किया है...तो राहुल गाधी ने माटी ढोयी मजदूरों के साथ.....तस्तरियों में खाने वाला इंसान रोटी खाई गरीब के घर.....पर चाहिए सत्ता...फिर जनता का क्या....
उसे वही गरीबी झेलनी है....और नेताओं के चक्कर काटने हैं...और अगले पांच साल बाद यही सोचेगा इस बार यार दूसरी नई वाली पार्टी को मौका देकर देखते हैं.........क्यूं....सही कहा ना......

sarvamangala mishra
9717827056

  मिस्टिरियस मुम्बई  में-  सुशांत का अशांत रहस्य सर्वमंगला मिश्रा मुम्बई महानगरी मायानगरी, जहां चीजें हवा की परत की तरह बदलती हैं। सुशां...