dynamicviews

Wednesday 8 May 2013

ऐसा रवैया कब तक......





ऐसा रवैया कब तक......


रिश्तों की मजबूती कैसे हो ये कह पाना या समझ पाना बहुत मुश्किल काम है....अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में खासकर....इस मुद्दे पर लिखना चाह रही थी कि सफीकउल्ला की कहानी सामने आ गयी और मैं इस कहानी के परिणाम का इंतजार कर रही थी....जो हुआ वो टिट फार टैट है.... कहने की जरुरत नहीं कि सरबजीत सिंह या चमेल सिंह जैसे अनगिनत नाम जिनके लिए आज भी उन कैदियों का परिवार पलक पांवड़े बिछाये बैठा राह तक रहा होगा....कि उनका पिता, पति, पुत्र या भाई घर वापस आयेगा....पर वक्त का पहरा एक –एक पल करके खत्म हो जाता है....और इंसान का जीवन उसके साथ....पर तकदीर की लकीरों को कोई बदल नहीं सकता..., सच है....सरबजीत आज उसके परिवार के बीच नहीं रहा और ना ही पाकिस्तान की सलाखों के बीच....पर नाम आज उसका जिन्दा हो चुका है....जब वो जिन्दा था तब किसी को कदर ना हुई...और जब मर गया तो लोग उसे सिर्फ जानने पहचानने नहीं लगे बल्कि उसके लिए दर्द  भी पनपा....सरकार भी 25 लाख का मुआवजा तो स्टेट गवर्नमेंट ने 1 करोड़ के मुआवजे की राशि घोषित कर दी....बेटियों को सरकारी नौकरी.....
सवाल यहीं से उठता है कि हमारे देश के जितने बार्डर इलाकों में रहने वाले लोग जो जाने अंजाने बार्डर पार कर जाते हैं जिसकी सजा वो और उनका परिवार और देश मजबूर, असमर्थ या सामने देश की नीतियों या कूटनीतियों का शिकार बन जाता है.....मुफ्ति महबूबा जब अगवा हुई थीं 1990 के दशक में तब हमारी भारतीय सरकार ने उन्हें छुड़ाने के बदले में पाक कैदियों को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था....देश की जनता भला कैसे भूल सकती है....वहीं हमारी मांगों पर उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगती.....हमारे कुछ कैदी ही आज तक वापस आ पाये हैं...जबकि वो मछुआरे तो कुछ अपनी छोटी मोटी भूलों के चलते पहुंच गये पाक की सीमा में....पर ऐसे कितने सरबजीत और चमेल कुर्बान होंगे.....चमेल सिंह की मौत दफन दो गयी तो सरबजीत की दासतां ए मौत हो गयी.....
मीडिया पर जो विडियो प्रदर्शित हुआ उसे देखकर बहुत आसानी से समझा जा सकता है सरबजीत का वो इकबालिया बयान जबरन रिकार्ड करवाया गया था....जैसे कि वीर जारा में शाहरुख खान ने अपना जुर्म इकबालिया बयान के तौर पर कबुला था......कहने का तात्पर्य आप समझ ही गये होंगे.....पर दो देशों में इतनी कटुता सीमावर्तीदेश को हमसे और हमें उनसे इतना खतरा.....क्यों....सरबजीत की मौत से बौखलाये भारतीय कैदियों ने जम्मू कश्मीर की जेल में उसपर हमला बोल दिया.....फलस्वरुप कल देर रात उसकी चंजीगढ के अस्पताल में मौत हो गयी......मैं जानती थी क्योंकि प्रतिशोध की भावना जब किसी इंसान में पनपती है...तो एक चरम तक पहुंच जाती है....और जीवन का चरम तो बस एक ही होता है......मौत....जो आज सफीकउल्ला का हो गया.....गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का बयान आ चुका है हम सफीकउल्ला का शव पाक को सौंप देंगें.....
आपको याद होगा...जब सरबजीत कि ऐसी अवस्था पर भारत ने हूमैनटेरियन बैंकग्राउन्ड के आधार पर उसका इलाज कराने के लिए भारत भेंजने को कहा था तो पाक ने साफ इंकार कर दिया था....और तो और हमारे भारतीय ऊच्चायुक्त की मंडली को मिलने की मंजूरी भी खारिज़ कर दी थी.....और वही पाक सफीकउल्ला के लिए हूमैनटेरियन बैंकग्राउन्ड की दुहाई दे रहा था......क्या पाक ये भूल चुका था या शाट टर्म मेमरी लास की प्राबल्म है....कि उसके दहशतगर्द, खुंखार आतंकवादियों को देश में इतनी आवाज बुलंद होने के बावजूद सरकार ने या तो उसका पक्ष लिया या जैसे भी हो इतने दिन वो सभी महफूस रहा....पर हमारे भारतीय कैदी.....
खैर भावना के बहाव में बह गयी थी ....पर असल मुद्दा ये है कि सरबजीत जैंसे जितने भी कैदी पाक की जेलों में या और कहीं बंद हैं सरकार ने आजतक उनके परिवार वालों की सुध क्या ली है....उनके जीवन यापन या उनके लिए कोई प्लान एक्टिवेट किया....उनके लिए उनकी मूलभूत सुविधाओं के विषय में केंद्र या स्टेट सरकार क्यों नहीं कोई कदम उठाती है.....एक टी वी चैनल पर उडीसा की स्टोरी दिखाई गयी जिसमें एक मां ने बताया कि घर में 5 रुपये तक नहीं रहते.....वहीं सरकारें लोगों को एल्कोहल के जरिये राजस्व बढाती है...तो कुछ सरकारें जनता से कहती हैं कि सिगरेट ज्यादा लोग पीयें ताकि कर वसूली कर लोगों को उनके रुपये वापस किये जा सकें... .ऐसी सोच वाली तो सरकारें हो चुकी हैं .....तो क्या उन्हीं पैसों का एक चौथाई हिस्सा इन कैदियों के परिवार वालों में विभक्त नहीं किया जा सकता..........क्या होगा इस देश का............

सर्वमंगला मिश्रा.....
9717827056







No comments:

Post a Comment

  मिस्टिरियस मुम्बई  में-  सुशांत का अशांत रहस्य सर्वमंगला मिश्रा मुम्बई महानगरी मायानगरी, जहां चीजें हवा की परत की तरह बदलती हैं। सुशां...