dynamicviews
Wednesday, 25 March 2020
सर्वमंगला मिश्रा
देश में कुछ परिस्थतियां जब भयावह रुप ले लेती हैं तो सरकार लाकडाउन जैसे कदम उठाती है। कोरोना का आतंक वैश्विक रुप से समूचे जनमानस पटल पर काले अंधेरे बादल की तरह छा गया है। देश को जैसे ग्रहण ही लग गया हो। इससे एक बात स्पष्ट हो जाती है कि ग्रहण कभी भी सदा सर्वदा के लिए नहीं लगता। एक निश्चित समय सीमा के उपरांत उसका अंत होता ही है अर्थात् कोरोना के कहर का भी अंत निश्चित है।आज हिन्दू नववर्ष का आगमन हुआ है। इसे व्यथा कहें या आनंद पता नहीं क्योंकि कोरोना के कारण लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से भी दूरी बनाने में परहेज नहीं कर रहे। विडियो काल और वाट्सअप पर बधाई संदेश देकर ही काम चला रहे हैं। रास्ते पर यदि आप भूले भटके निकल भी जाएं तो लगेगा कि किस अंजान रास्ते, सड़क, गली या शहर में आप पहुंच गए हैं। 24 मार्च की रात 12 बजे से लाकडाउन पूर्णतया लागू हुआ पर मैं अपने परिवार के सदस्यों के साथ जब मार्केट जाने के लिए बाहर निकली तो हमारे बिल्डिंग का दरवाजा बंद था थोड़ा अजीब लगा फिर जब मैं बाहर निकली तो सड़क सुनसान, हर घर बंद, एक दुकान तक खुली नहीं थी। फल और फूल की दुकान कुछ दूरी पर था। हम पैदल चलने को मजबूर थे क्योंकि कोई रिक्शा वाला भी नहीं था। हम आगे बढ़े तो सड़क पर एक दो लोग बैठे दिखे और कोलकाता पुलिस की वैन गुजरी, उसके पीछे एम्बूलेंस की गाड़ी और फिर सन्नाटा। सड़क पर पोस्ट लैम्प दुधिया रौशनी से भरे अकेले सड़क को निहार रहे थे। तभी एक गली से एक लड़की चलते हुए आई बिना मास्क के, बिना अपना मुंह ढके, मैं कुछ सोचती उसके पहले वो रास्ता क्रास करके आगे बढ़ गई। हम भी चुप ही थे नजारा देख रहे थे। वैसे भी मास्क पहनने के बाद कम बोलने की इच्छा होती है। तभी एक और एम्बूलेंस की गाड़ी पास की। दो पुलिस वाले घूमते भी नजर आए। सोचा कहीं मार्केट तक जाने के लिए भी मना न कर दें। खैर, ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक टैक्सी खड़ी थी ड्राइवर नदारद पास खड़े एक आदमी से इशारे में पूछा कि क्या ये उसकी टैक्सी है...उसने तुरंत सिर हिलाया और घूम गया। हम पैदल चल ही रहे थे कि मार्केट का गेट आ गया था। वहीं एक एम्बूलेंस खड़ी थी। मार्केट के अंदर हम दाखिल हुए तो आसपास का नजारा ऐसा लगा जैसे सालों से ये बस्ती उजड़ी हुई है। दो कुत्ते दौड़ते हुए सड़क की ओर भागे पर बिना शोर। तभी सफेद ड्रेस वाले पुलिस डंडा लिए घूमते नजर आए। फलवाले की दुकान अकेली थी जो ग्राहकों का अभिनंदन कर रही थी। पर ग्राहक के नाम पर उस वक्त हमें मिलाकर दो लोग थे। जहां इस समय उसे सांस लेने की फुरसत नहीं होती थी आज वक्त कट नहीं रहा था। वो अपने मोबाइल पर गाने सुन रहा था। उसने हमें बताया कि आसपास की दुकानों को कैसे पुलिस ने जबरन बंद करवाया। मिठाई की दुकानें तो 3-4 दिन से बंद पड़ी है। दीदी आप और ले लो क्योंकि आपलोग तो 9 दिन तक उपवास में रहते हैं क्या पता फिर ये भी ना मिले। पुलिस हमें भी दुकान बंद करने को कह दे। तब हमने उसे समझाने का प्रयास किया कि फल, सब्जी और मेडिकल की दुकान हर हालत में खुली रहती है। तो फलवाला बोला- दीदी माल नहीं आएगा तो हम दुकान कैसे खोलेगा।
मिस्टिरियस मुम्बई में- सुशांत का अशांत रहस्य सर्वमंगला मिश्रा मुम्बई महानगरी मायानगरी, जहां चीजें हवा की परत की तरह बदलती हैं। सुशां...
-
आस्था और अनुकरण सर्वमंगला मिश्रा 9717827056 आस्था से श्रद्धा और श्रद्धा से विश्वास कायम होता है। जी...
-
सवर्णों का रोष और मोदी का होश –कौन चमकेगा 2019 में ? सर्वमंगला मिश्रा 2019 के पहले सालों से सोई हुई सवर्ण जाति की लगता है नींद खुल ...
-
लाँकडाउन का पहला दिन सर्वमंगला मिश्रा 25 मार्च की शाम, मैं छत पर गई मेरे पिताजी द्वारा लगाए पेड़ पौधों को सींचित करने हेतु क्...
No comments:
Post a Comment