भाजपा का कमल
सर्वमंगला मिश्रा- स्नेहा
9717827056
देश में आज एक ही लहर चहुं ओर है। यह लहर समय की है या व्यक्ति विशेष की। जीत कहीं भी मिल रही है तो उसका एक मात्र श्रेय जा रहा है प्रधानमंत्री को। जिसने लोगों पर न जाने कैसा मोहिनी जादू कर दिया है या मार्केटिंग का असर। समझना थोड़ा जन सामान्य के लिए मुश्किल हो रहा है। डीजल -पेट्रोल के दाम भी कम होते नजर आ रहे हैं। क्या यह अजूबा मात्र सभी चुनावों को जीतने का मात्र सहारा है अथवा सचमुच यह अजूबा कायम रहेगा। जिस गुजराती माडल को लेकर दुनिया भर में चर्चा का विषय रहे मोदी ने अपने आप को स्थापित कर लिया है। अंगद के पैर की तरह राजनीति की धरती पर कड़े विरोधियों के सामने जमा चुके हैं। आज जम्मू कश्मीर का विधानसभा चुनाव हो या मध्यप्रदेश का नगर निकाय हर तरफ भाजपा का कमल ही खिल रहा है। मध्य प्रदेश के सी एम शिवराज सिंह चौहान ने तो मध्य प्रदेश को गुजराती माडल जैसा बनाने के लिए एक पी आर ऐजेंसी भी हायर करने का फैसला ले लिया है। अब उम्मीद यही की जा सकती है कि आने वाले समय में सभी बीजेपी शसित राज्य अपने अपने राज्यों को गुजराती माडल बनाने की होड़ में शामिल हो जायेंगें।
राज्यों ने हर चुनाव जीत लिया है। कुछ चुनाव और कुछ दूसरे राज्यों में विधानसभा चुनाव भी अगले साल होने वाले हैं। उसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम से परचम लहराते हुए अब पूरब का रुख कर लिया है। बंगाल में अस्तित्वहीन भाजपा को अस्तित्व में लाने की कवायत शुरु हो चुकी है। बंगाल की शेरनी के सामने भी क्या कोई दहाड़ सकता है ? तो मोदी सरकार की रीढ़ की हड्ड़ी अमित शाह जो साधरणतया कम बोलते दिखते हैं बंगाल में अपनी गर्जना के साथ भाजपा के मजबूत कदम की थर्राहट तो नहीं पर आसार के कयास जरुर लगाये जायेंगें। बंगाल में गरीबों की हमदर्द पार्टी सी पी आई एम के अलावा एक लम्बे अरसे के बाद दीदी को अपनाया क्योंकि वो 34 साल से प्रयासरत थीं कि वो बंगाल और बंगाल वासियों की हमदर्द हैं। पर वहां की जनता इतनी आसानी से किसी को अपना नहीं मानती है। कड़ी अग्नी-परीक्षा के बाद ही उसे अपनाती है। जब बंगाल की बेटी और बाघिनी को यह समझाने में 34 साल लग गये कि वो उनकी हैं और बंगाल उनका है। तो बंगाल के लोगों का पूर्ण विश्वास मत हासिल करने में तो अमित शाह को अभी कितना दहाड़ना पड़ेगा। कितनी परीक्षायें देनी होंगी । क्या अमित शाह के अन्दर इतना दम है कि बंगाल की मानसिकता और विश्वास की भावना को सहेजकर ममता दीदी को बंगाल में चुनौती दें और 2015 में होने वाले विधानसभा चुनावों में परिणाम आशा के विपरीत और भाजपा के इतिहासी किताब में एक ऐसा अध्याय जोड़ दे जो किसी ने अब तक सोचा न हो यानी - पूर्ण बहुमत भाजपा को । इस साल हुए लोकसभा चुनावों में भी भाजपा की स्थिति सबके सामने ही रही।
माहौल, शब्द की बात करना चाहूंगी। एक अविश्वसनीय पक्षपात चाहे अनचाहे हर कोई न जाने क्यों मोदी की ओर आकर्षित है। एक ऐसा हूजूम जिसमें हर कोई आसमान की तरफ टकटकी लगाये एक ही अक्स, एक ही नाम देखना और सुनना चाहता हो। पर एक शक्स ऐसा है जो मोदी से शिकायत करना चाहता है। पर उसकी शिकायत कहीं अनसुनी न कर दी जाय। जशोदा बेन - मोदी जी की पत्नी । जिसे अभी भी मोदी जी ने सही स्थान नहीं दिया है। वह आर टी आई के तहत अपने प्रश्नों का उत्तर से ज्यादा अपने हक की लड़ाई लड़ने को मजबूर है। जिसे दुनिया ने सालों बाद सुना कि मोदी की पत्नी भी हैं क्योंकि लोकसभा का फार्म भरने के क्रम में खुलासा हुआ। उसी तरह सालों से चला आ रहा बंगाल और भाजपा का खेल। जो पूरे देश में, केन्द्र में राज कर चुकी पर बंगाल में अबी तक अस्तित्वहीन है और लड़ाई लड़ने को मजबूर भी। हालांकि बंगाल ने भी अपना मुख यानी ब्रांड अम्बेसडर शाहरुख खान को बनाकर तेज -रफ्तार पकड़ने को दर्शाता है। पर भाजपा सिंकदर की तरह विश्व विजय पर निकली है। जिसले पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण विजय रथ पर सवार होकर इतिहास रचना है। जो हर नामुमकिन को मुमकिन बनाने पर तुली है। जिसे दिल्ली में भी मील का पत्थर साबित होना है। देश के हर राज्य में बस कमल का निशान देखने का सपना लेकर चलने वाली भाजपा क्या गुल खिलायेगी यह तो भविष्य ही बताएगा कि भाजपा का यह वक्त उगता सूरज आसमान में चढेगा या मध्य तक आते- आते भाजपा के सूर्य को ग्रहण लग जायेगा और ग्रहण लगा सूर्य यूंही सदा के लिए अस्त हो जायेगा।
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