भारत पर्यटन की
दृष्टि से
सर्वमंगला मिश्रा
भारत वर्षों से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता
आया है। चाहे फाह्यान हो या महमूद गजनवी, जिसने 17 बार सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण
किया था। भारत की धरती पर जिसने भी आजतक कदम रखा, इतिहास गवाह है वह निहाल होकर ही
गया। राम, कृष्ण, आदिगुरु शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, गौतम बुद्ध, विवेकानन्द,
गुरुनानक की इस धरती पर हर शक्स जीवन में एकदफा तो कदम रखना ही चाहता है। यह वही
भारत है जहां से आध्यात्म का बीज हर मानव के अंदर पनपता है।
भारत का पर्यटन और स्वास्थ्यप्रद पर्यटन मुहैया
कराने की दृष्टि से विश्व में पाँचवा स्थान है। पर्यटन गरीबी दूर करने, रोजगार
सृजन और सामाजिक सद्भाव बढ़ाने का सशक्त साधन है। भारत
जैसे विरासत के धनी राष्ट्र के लिए पुरातात्विक विरासत केवल दार्शनिक स्थल भर नहीं
होती वरन् इसके साथ ही वह राजस्व प्राप्ति का स्रोत और अनेक लोगों को रोजगार देने
का माध्यम भी होती है| पर्यटकों के लिए कैम्पिंग स्थलों के
संचालन करने से भी स्थानीय युवकों को रोजगार मिल सकता है। इसके लिए उन्हें
प्रशिक्षित जनशक्ति की जरूरत पड़ेगी। कुछ स्थानीय युवकों को गाइड के रूप में काम
करने के अवसर मिल सकता है। ये आने वाले पर्यटकों को आस पास की पहाडि़यों और जंगलों
की सैर कराकर उन्हें अपने इलाके से परिचित करा सकते हैं। जिससे देश के स्वाभिमान
में वृद्धि होगी। अपने इलाके की वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं तथा ऐतिहासिक और
पौराणिक स्थलों की तरह अपने समुदाय और लोक जीवन का परिचय दे सकते हैं। स्थानीय पर्यटन
स्थलों को रोचक ढंग से प्रस्तुत करके ये नाम कमा सकते हैं। स्थानीय बुनकर और
कारीगर अपने उत्पाद प्रदर्शित करके पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं। जिससे ज्यादा
पर्यटक आकर्षित होंगे। कारीगरों को अपने हस्तशिल्प
और बनाए गए परिधानों को पर्यटकों के सामने प्रस्तुत करने के अवसर दिए जा सकते हैं।
पर्यटन से स्थानीय युवकों को नए-नए क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिलते
हैं। पर्यटन से सांस्कृतिक गतिविधियों में तेजी आती है और पर्यटकों तथा उनके
मेजबानों के बीच बेहतर और समझदारी पूर्ण सम्बन्ध विकसित होते हैं। राष्ट्रीय स्तर
पर इससे विदेशी मुद्रा की मोटी कमाई होती है जो किसी भी देश के लिए महत्वपूर्ण है।
सच्चाई यह है कि दुनिया के 83 प्रतिशत विकासशील देशों में पर्यटन विदेशी मुद्रा
अर्जित करने का प्रमुख साधन है। मोदी सरकार ने
अपने तीन साल के कार्यकाल में पर्यटन क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है। पर्यटन के
क्षेत्र में देश ने जिस गति से तरक्की हुई है उससे लगता है कि, भविष्य में दुनिया
के पर्यटन मानचित्र पर भी भारत अव्वल देशों में शामिल हो जाएगा। मात्र तीन वर्षों
में देसी मानदंडों पर ही नहीं विदेशी मानदंडों पर भी पर्यटन के क्षेत्र में भारत
की रैंकिंग काफी सुदृढ़ हुई है। विदेशी सैलानियों ने भारत को काफी अधिक महत्व देना
शुरू कर दिया है। यही वजह है कि देश में विदेशी सैलानियों के साथ ही विदेशी मुद्रा
का भंडार भी भरने लगा है। मोदी सरकार ने देश की कमान संभालते ही जिन चीजों पर सबसे
अधिक जोर देना शुरू किया था उनमें से पर्यटन भी एक है। इसके लिए प्रधानमंत्री ने
खुद अपने स्तर पर पहल शुरू की थी। पीएम मोदी ने दुनियाभर में जाकर भारत के पर्यटन
क्षेत्र को जीवंत बनाने की कोशिश की है। उनके उन्हीं प्रयासों और प्राथमिकताओं का
असर अब दिखाई देने लगा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मार्च को
अपने मन की बात में कहा था - “ये बात सही है कि टूरिज्म सबसे
ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। गरीब से गरीब व्यक्ति कमाता है और जब टूरिस्ट,
टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाता है। टूरिस्ट जाएगा तो कुछ न कुछ तो
लेगा। अमीर होगा तो ज्यादा खर्चा करेगा और टूरिज्म के द्वारा बहुत रोजगार की
संभावना है। विश्व की तुलना में भारत टूरिज्म में अभी बहुत पीछे है। लेकिन हम सवा
सौ करोड़ देशवासी तय करें कि हमें अपने टूरिज्म को बल देना है तो हम दुनिया को
आकर्षित कर सकते हैं। विश्व के टूरिज्म के एक बहुत बड़े हिस्से को हमारी ओर आकर्षित
कर सकते हैं और हमारे देश के करोड़ों-करोड़ों नौजवानों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा
सकते हैं। सरकार हो, संस्थाएं हों, समाज
हो, नागरिक हों, हम सब को मिल करके ये
काम करना है”।
भारत प्रतिवर्ष विश्व पर्यटन दिवस मनाता है। प्रकृति
की गोद में जो परम आनंद मिलता है, ज़ो सुकून मिलता है, शांति का आभास होता है वो और कहीं नहीं मिल सकता। भारत के पास नैसर्गिक
संसाधन बेशूमार है। कुदरत का करिश्मा विश्व के हर कोने में हैं। प्रकृति का आलोकिक
रूप देखकर आनंदित होता है। रमणीक स्थलों में कुदरत का नज़ारा मन को अद्भुत शांति
प्रदान करता है। प्राकृतिक खजाना चहुंओर फैला पड़ा है। उँचे पहाड़, कल-कल करते झरने, मधुरतान अलापते रंग बिरंगे पंछी, महकते फूल, चारों ओर जैसे प्रकृति अपने आप सज धज
हमे पुकार रही हो। भारत का आध्यत्म विश्व को आमंत्रित करता है। भारत अपनी सभ्यता,
संस्कृति और परंपरा को परिलिक्षित करता है और विश्व का हर पर्यटक आने को विवश हो
जाता है। यह स्वाभाविक है कि भारत पर्यटन के क्षेत्र में देश जैसे-जैसे विकास
करेगा, रोजगार के मौके भी बढ़ते जाएंगे और विदेशी मुद्रा
भंडार में भी बढ़ोत्तरी होती जाएगी।
मार्च 2006 में अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश जब
भारत आये, तब भारत और अमेरिका के बीच परमाणु करार होना था और वह हुआ भी लेकिन इस
गंभीर मुद्दे के बीच उनका एक बयान भी छाया रहा कि “अमेरिका भारतीय
आम खाना चाहता है”। इसके उपरांत अमेरिका ने भारतीय कृषि
उत्पादों के आयात पर भी एक समझौता किया। उसके अगले साल से ही 17 वर्षों के उपरांत
ही सही अमेरिकावासी भारतीय आम का स्वाद चखने लगे। इससे जाहिर होता है कि भारत की
मिट्टी पर चाहे कोई आया हो या मिट्टी की खुशबू उस तक पहुंची हो वो शक्स भारत का
दीवाना हो जाता है।
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के अनुसार मोदी सरकार के सत्ता
में आने के बाद भारत में पर्यटन के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है। डब्लूईएफ की
ट्रैवल एंड टूरिज्म की काम्पिटीटिव रिपोर्ट 2017 (WEF की Travel
& Tourism, Competitiveness Report 2017) की हालिया रैंकिंग में
भारत ने 12 अंकों की ऊंची छलांग लगाई है। भारतीय टूरिज्म की
रैंकिंग 52वें पायदान से ऊपर चढ़कर 40वें
पायदान पर पहुंच गई है। जहां साल 2013 में भारत 65वें नंबर पर था, वहीं 2015 में
52वें नंबर पर आ गया और महज डेढ़ साल के भीतर 12 अंकों की छलांग लगाते हुए 40वें पायदान पर जा पहुंचा
है। पर्यटकों के आगमन के मामले में जापान के पांच और चीन के दो अंक के मुकाबले
भारत को 12 अंकों का फायदा हुआ है। जबकि अमेरिका शून्य से दो
अंक नीचे और स्विट्जरलैंड शून्य से चार अंक नीचे रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि
पर्यटकों की सुरक्षा के मामले में भी भारत 15वें स्थान पर आ
गया है। यही नहीं पर्यटन से राजस्व में भी भारी बढ़ोत्तरी हुई है। यह 2015 में 1.35 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2016 में 1,55,650 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस तरह से
विदेशी मुद्रा की कमाई में 15.1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। पर्यटन
मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2017 में देश में 1.01 करोड़ पर्यटक आए जबकि 2016 में यह आंकड़ा 88.04
लाख था। इस तरह 2017 में भारत आने वाले विदेशी
पर्यटकों की संख्या में 15.06 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खास
बात यह है कि भारत आने वाले सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक बांग्लादेशी हैं। कुछ समय
पहले तक भारत में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक अमेरिका जैसे विकसित देशों से आते थे
लेकिन बीते दो साल में बांग्लादेश ने इस मामले में विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया
है
वैसे 2016-17 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार
2015 में 80.3 लाख पर्यटक भारत घूमने
आए थे, तो 2016 में उससे 10.7 प्रतिशत अधिक यानि 88.9 लाख विदेशी पर्यटक भारत की
यात्रा पर पहुंचे थे। बड़ी बात ये है कि ई-वीजा की सुविधा मिलने के बाद से भारत के
प्रति विदेशी सैलानियों की रूचि और बढ़ी है और वो बड़ी संख्या में भारत का रुख कर
रहे हैं। जैसे इस साल जनवरी से मार्च के बीच 4.67 लाख विदेशी
सैलानी ई-वीजा पर भारत आए जो कि पिछले साल इसी अवधि के 3.21 लाख
पर्यटकों की तुलना में 45.6 प्रतिशत अधिक है। भारत आने वाले
पर्यटकों को किसी तरह की असुविधा न हो इसे देखते हुए अभी 161 देशों के नागरिकों को ये सुविधा दी जा रही है। भारत ने अपने पर्यटकों को
वेलकम कार्ड देना भी शुरू किया है, जिनसे सैलानियों को सभी
महत्वपूर्ण जानकारियों मिल जाएं और उन्हें किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना
पड़े। केंद्र सरकार स्वदेश दर्शन के तर्ज पर टूरिस्ट सर्किट का विकास कर रही है।
इस योजना के तहत 13 सर्किट को चुना गया है। पूर्वोत्तर भारत, हिमालयन, बौद्ध,
तटीय, मरुस्थल, जन जातीय, कृष्णा, इको, ग्रामीण, आध्यात्मिक, रामायण और विरासत
सर्किट योजना के तहत आते हैं। इस योजना के तहत 2601.76 करोड़ रुपये की लागत वाली
सभी 31 परियोजनां पर कार्य पूर्ण करने की योजना है।
पर्यटन, सेवा क्षेत्र का एक ऐसा उभरता हुआ उद्योग है जिसमें अपार संभावनाएं निहित हैं।
भारत अतुलनीय प्राकृतिक स्थलों के साथ ही वैश्विक स्तर पर एक बड़े जैविक आयामों के
क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। पर्यटकों के लिए भारतीय बाजार विविधताओं भरा
स्थान है। इन विविधताओं के आर्थिक पहलुओं को देखते हुए शिल्प आदि क्षेत्रों के
संवर्धन हेतु ठोस सरकारी प्रयासों का परिणाम एक नई आर्थिक संभावना के रूप में देखा
जा सकता है तथा नए चिन्हित पर्यटन स्थलों पर ढांचागत सुविधाओं का विकास कर न केवल
शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसरों की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती
है। सुरक्षा के साथ विदेशियों को भी भारत के गांवों की
सैर करायी जा सकती है। जिससे पर्यटन को बहुत बढ़ावा मिल सकता है और वहां के लोगों
को रोजगार।
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