dynamicviews

Wednesday 15 July 2015

क्या हुआ तेरा वादा.....

 
सर्वमंगला मिश्रा

शौर्य के बल पर सिकन्दर ने पुरु को झुकाया। पानीपत का पहला युद्ध मुगलों ने जीता। 300 साल अंग्रेजों ने शासन किया।एक किंवदंती है कि जब राजा बलि अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे। तभी एक नन्हा सा ब्राह्मण बालक द्वार पर आया। जब राजा बलि उसके सम्मुख हुए तो उस बाल ब्राह्मण ने साढ़े तीन गज जमीन की मांग की अपने पग से। इस पर राजा बलि ने उसका उपहास उड़ाते हुए संकल्प किया कि साढ़े तीन पग भूमि वो उसे दान में समर्पित करेंगे। पर जब उस बाल ब्राह्मण ने तीन पग में सम्पूर्ण धरती, आकाश और पाताल नाप लिया तो आधी गज़ जमीन कम पड़ गयी और राजा बलि को स्वंय झुककर कहना पड़ा कि अब तो मुझे ही माप कर संतुष्ट हों। क्योंकि सम्पूर्ण सृष्टि नप चुकी थी भगवान विष्णु के चरणों से। राजा प्राचीन काल में उत्तर भारत विजय और दक्षिण भारत विजय करते थे। उत्तर भारत विजय तो सभी बलशाली राजा कर लेते थे। पर दक्षिण विजय कुछ परम बलशाली ही कर पाते थे। समुद्रगुप्त का नाम आज भी अंकित है इतिहास में। समुद्रगुप्त ने सम्पूर्ण भारत पर विजय तो हासिल कर ली। परन्तु उस पर शासन करना कठिन था। साम्राज्य चलाना उस काल में कठिन होता था। इसलिए अधीनस्थ राजाओं को उनका राज्य वापस लौटा कर उनसे कर वसूलते थे अथवा अपने अधीनस्थ रखकर साम्रज्य चलाते थे। इतिहास गवाह है कि अशोक, अकबर, बाजीराव पेशवा, विक्रमादित्य या शेरशाह सूरी कोई भी शासक एकाधिकार से शासन नहीं कर पाया जितना की विस्तृत भू भाग हम आज भारत का देख रहे हैं।आज का युग हाई टेक हो चुका है। अब 24 घंटों में आप यूरोप जाकर वापस भी आ सकते हैं। अमेरिका, चीन, जापान कहीं भी पहुंच सकते हैं। मोदीजी ने 2014 के चुनावकाल में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। सम्पूर्ण भारतवर्ष के न जाने कितनी बार चक्कर लगाये होंगे। पूरा विश्व नाप लिया विमान से। राजा बलि ने तो अपना संकल्प पूर्ण कर दिया पर मोदी की राह संकल्प पूरा करने के पथ पर अग्रसर है या भटकाव है अथवा ये पथ ही भटकावपूर्ण है।

राजनीति में नीतिपूर्ण भटकाव जनता को सदा सर्वदा से भ्रम की स्थिति में डालता है। भटकावपूर्ण रवैया राजनीति में सूझ-बूझ के साथ न लिया जाय तो एक तरफ कुंआ और दूसरी ओर खाई अपने आप खुद जाती है। आज की राजनीति में अलगाव का बिगुल ऐसे बजता है जैसे एक कक्षा पार कर बच्चा दूसरी कक्षा में जा रहा हो। प्रधानमंत्री मोदी ने सम्पूर्ण भारत को गुजरात के तार से जोड़कर अविरल भावनाओं का संचार कर डाला। क्या देश वाइब्रेंट गुजरात, वाइब्रेंट इंडिया और डिजिटल इंडिया के कार्यक्रमों से बन जायेगा। शौर्य रणनीति में मात्र दिखना ही नहीं चाहिए बल्कि धरातल पर फलीभूत हो सके ऐसी रणनीति होनी चाहिए।

देश घोटालों के चक्रव्यूह में घिर चुका है। सरकार और विपक्ष आरोप –प्रत्यारोप का खेल खेलकर जनता को गुमराह करती आयीं हैं। विपक्ष सरकार के पक्ष-विपक्ष हर मुद्दे को लेकर गहन राजनीति करने से बाज नहीं आता। पक्ष सरकार न गिरे इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगाता रहता है। हर जुगत जिससे सरकार अपनी सत्ता पर काबिज़ रहे। लोकतंत्र न हो तो नेताओं- मंत्रियों को मुद्दे न दिखायी देते और न उठते। लोकतंत्र की मर्यादा को बनाये रखने के मात्र उद्देश्य से ही सही मंत्रीगण चुनाव काल के दौरान मुद्दे गिनाते हैं, ऐजेंडा तैयार होता है और घोषणा पत्र भी जारी होता है। उस घोषणा पत्र की सुध भी नहीं रहती पार्टियों को। ऐसा प्रतीत होता है कि घोषणा पत्र मात्र जनता की ओर से प्रश्नपत्र का उत्तर पुस्तिका के रुप में घोषणा पत्र आता है। उन वायदों का क्या जो मोदीजी ने चुनाव प्रचार के दौरान किये थे।

मोदी का शौर्य प्रदर्शन कब तक जनता को मृग मरीचिका की अवस्था में रख पायेगा। आज भारत का केंद्र राज्य मध्य प्रदेश जहां भाजपा की सरकार ने अपने पैर अंगद की तरह जमा लिये हैं। जड़े इतनी मजबूत हो चुकीं हैं सरकार के शासनकाल में ही घोटाला हुआ। सरकार ने ही उसका पर्दाफाश किया और सरकार के राज में ही उसकी जांच भी हो रही है। व्यापम घोटाला देश का ऐसा घोटाला बन चुका है जिसमें अनगिनत मौतें हो चुकी हैं। हाल ही में टी वी पत्रकार अक्षय सिंह की मौत ने भाजपा के शासन की जड़ें जहां हिलाकर रख दीं। वहीं कड़वा सच भी सामने आ रहा है कि सरकार कितनी तानाशाह बन चुकी है। अक्षय सिंह की मौत के बाद लगातार हुई चार और मौतों ने सरकार के सामने दलदल की स्थिति पैदा कर दी है। गवर्नर के पुत्र से लेकर पूरा मध्य प्रदेश ही जैसे व्यापम के आगोश में आ चुका है। एक के बाद एक मौतें उज्जैन की नम्रता से लेकर मृतकों की संख्या अर्ध सेंचुरी पूरी कर सकती है। इसके बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह का चावल घोटाला भी अब जनता के सामने आ चुका है। क्या प्रधानमंत्री जिन्होंने काला धन वापस लाने की बात कहकर देश की जनता का दिल जीता था। आज उनके ही शासनकाल में भाजपा शासित राज्यों से इतने बड़े- बड़े घोटाले सामने कैसे निकलकर आ रहे हैं। इसका तात्पर्य स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में घोटाले किये तो भाजपा ने अपने अधीनस्थ राज्यों में।  

देश में मात्र प्रोजेक्टस लांच करने से या उसकी घोषणा या शिलान्यास करने से देश में फैली कुरीतियां नष्ट नहीं हो जायेंगी। जर्जर नीतियों से, अस्वस्थ मानसिकता से मंत्री एंव नेतागण को उबरना होगा। देश बहलावे से नहीं आर्थिक सतर्कता और लाभकारी नीतियों को पूर्णरुप से लागू करने पर ही सुचारु हो सकता है। मोदी जी स्वंय को चौकीदार मानते हैं। परन्तु आज देश की भावभंगिमा किस स्वरुप को अख्तियार कर रही है उन्हें ज्ञात भी है।कक्षा में जब शिक्षक नहीं होता तो बच्चे शैतानी करने से परहेज़ नहीं करते। बास के न होने पर कर्मचारी मनमर्जियां करते हैं उसी तरह प्रधानमंत्री के देश में न रहने से मंत्रीगण पने उत्तरदायित्व के प्रति कितने सजग रहते हैं यह चिंता का विषय है। यूरोप को इस दशा में लाने के पीछे 600 सालों का योगदान देना पड़ा।

एक वक्त था जब भारत को विश्व से अनुदान मिलता था। मेक्सिकन गेहूं जिसे शायद विदेशों के जानवर भी नहीं ग्रहण नहीं करते थे। तब लालबहादुर शास्त्री की अन्तर्रात्मा कराह दी। फलस्वरुप एक वक्त का भोजन छोड़ने के लिए देशवासियों से आग्रह किया तो देश की जनता ने धर्म की तरह पालन किया। परिस्थितियां आज पलट चुकीं हैं। देश में न टैलेंट की कमी है और न ही धन की बल्कि, नियत की कमी है। विश्वभ्रमण पर निकले प्रधानमंत्री दूसरे देशों को धन स्वरुप प्रेम बांट रहे हैं। पर, हमारा देश आज भी विकट परिस्थितियों से जूझ रहा है। देश आज गेहूं से लेकर अन्य वस्तुओं का उत्पादन से लेकर निर्यात भी कर रहा है। उसके बावजूद भी देश का विस्तृत हिस्सा भूखों सोता है। आखिर कब सपनों का भारत बनेगा। मोदी जी का सपना जो अब करोड़ों देशवासियों की आंखों में पल रहा है शीशे की तरह है या तो टूट जायेगा या तो फ्रेम हो जायेगा। 

.                  

   

No comments:

Post a Comment

  मिस्टिरियस मुम्बई  में-  सुशांत का अशांत रहस्य सर्वमंगला मिश्रा मुम्बई महानगरी मायानगरी, जहां चीजें हवा की परत की तरह बदलती हैं। सुशां...