कांग्रेस की टेढी मेढी चाल
आजकल कांग्रेस एक अजीबो गरीब दौर से गुजर रही है.....आज उसके लिए एक ओर कुंआ है तो दूसरी ओर खाई....जहां कांग्रेस की नीतीयां आम जनता को मंहगाई के दलदल में रोज ढकेल रही है वहीं हर रोज नए घोटालों की फहरिस्त कम होने का नाम ही नहीं लेती......ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने पद को के साथ न्याय कर रही है....जहां आज के ट्रेंड की बात करें तो परिवारवाद हर एक क्षेत्र में नजर आता है.....क्यू और कैसे कहने चलूंगी तो शायद एक नया लेख की लिख डालूंगी.....इसलिए मुद्दे की बात करेंगें.....
कांग्रेस के प्रिंस राहुल गांधी की माताजी और काग्रेस की अध्यक्षा मैडम सोनिया गांधी जहां अपने सुपुत्र को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान देखना चाहती हैं वहीं जनता में इस बात को लेकर अलग अलग मत रखने वाले लोग हैं.....पर क्या इस बात से मैडम सोनिया को कोई फर्क पड़ता है....मुझे पता है जो लोग इसे पढ रहे होगें उनके सिर भी कुछ अलग अंदाज में हिल गये होंगे......
जी हां बिल्कुल सही सोच रहे हैं आप शायद ...अगर मेरी बातों से आप भी इत्तेफाक रखते हों तो.....सोनिया जी बोलती कम हैं करती ज्यादा है...मैं कह सकती हूं कि जो बादल गरजते हैं वो बरसते नहीं और जो गरजते हैं और जो गरजते हैं वो बरसते नहीं.....मैडम इसे बखूबी पालन करती हैं.....जयपुर में लगे शिविर चिंतन में जब राहुल गांधी ने अपना भाषण पढा तो लोगों का दिल पसीजते पसीजते रह गया.....राहुल ने कहा - कि कल रात मेरी मां मेरे कमरे में आईं और रोने लगीं......बिल्कुल सही बात है हर मां अपने बच्चे का सुधरता जीवन देखना चाहती है सोनिया गांधी इससे अछूती नहीं है.....उन्हें भी राहुल की चिंता रात -दिन खाये जाती है कि मेरे बाद......क्या होगा....क्योंकि जब तक कुर्सी और औधा है तब तक सबकुछ है पर उसके बाद......अब इधर उधर कि बात ना करके सीधे मुद्दे की बात कहूंगी.......वो ये कि कांग्रेस में अब जो दो गुट स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है - एक गुट जो ये कहता है कि पार्टी जिसे चुनेगी सर्वसम्मती से वही उनका पी एम पद का उम्मीदवार होगा....वैसे ये साफ है कि कोई भी मैडम के विरोध में नहीं जायेगा.....पर वहीं दबसरा गुट जैसे बेनी प्रसाद वर्मा और एक और राज्य के सी एम ने खुले आम राहुल को पी एम बनाने की कवायत जो शुरु कर दी है....तो राहुल गांधी से उन दोनों को फटकार भी सुनने को मिली......राहुल ने इसपर कहा कि पार्टी ने मुझे जो कार्य सौंपा है मैं उसे ही निभाना पसंद करुंगा.......तो क्या इसका मतलब ये निकाला जाय कि राहुल पी एम पद की उम्मीदवारी से अपना नाम वापस लेना चाहते हैं......तो क्या मनरेगा के कारनामों को याद करें.....मजदूरों के साथ मिट्टी ढोता राहुल.....एक आम आदमी की आवाज......या ये बाते कुछ और ही संकेत दे रही हैं........
कहीं ऐसा तो नहीं ...मैंने जो ऊपर लिखा था कि दो गुटों की स्थापना कर दी गयी है कांग्रेस में.....उसका मतलब यही है कि मैडम शतरंज की कौन सी चाल चलने वाली हैं.....अपने घर में दो गुट बनाकर ही पक्ष और विपक्ष दोनो की भूमिका खुद से तय करवाकर अपने मकसद को हासिल करना चाहती है.......मकसद है राहुल को पी एम बनाना......जी हां ..अंग्रेजी में एक कहावत है - बाई हूक और बाई क्रूक.....यही नीती अपना रही है सोनिया गांधी......ताकि बाहर के लोगों को कुछ भी बोलने का मौका न मिले.....कांग्रेस के खेमे को दोहरे रंग और घर में खेलने को मजबूर करने वाली सोनिया गांधी ने शतरंज की ऐसी बिसात बिछायी है कि चित भी मेरी पट भी मेरी......अब कहा भी क्या जाय ममता होती ही ऐसी है.....कुछ कहना मां की ममता के आगे नागवरा गुजर रहा है पर देश के बारे में सोचे तो थोडी नाइंसाफी लगती है......क्योंकि देश को चलाने का तजुर्बा है राहुल को ....कितना है ....ये बात कहना भी नाइंसाफी होगी कि राहुल गरीब तबके के पास जाने से नहीं चूके पर क्या सचमुच वो उनके दिल में उनके अपना नेता के तौर पर उन सबके नेता बन पाने का दम खम रखते हैं.....राहुल...?
चलिए, वहीं मोदी एक ऐसे नेता के तौर पर उभरे हैं जिसकी एक ऐसी शक्सीयत नजर आती है कि मुंह मोड़ना जरा मुश्किल लगता है.....वहीं स्वीट चाकलेटी राजनिति के चार्मिंग वाय राहुल के बारे में इतना कुछ उपर कह दिया है बाकि आप तो खुद ही इतने समझदार हो.....क्या कहूं.....पर मैडम आज तक हमेशा से अपने मकसद में कामयाब रही है ...एक बार जब वो कमिटमेंट कर लेती हैं तो खुद दूबारा अपनी भी नहीं सुनती......चाहे मनमोहन जी को पी एम बनाना हो या प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को देश की सबसे बड़ी कुर्सी .......अब तो मुझे एक ही बात याद आ रही है....होईंहैं वही जो मैडम रचि राखा.......
SARVAMANGALA MISHRA
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